*जांच की आंच से झुलस रहा है बेसिक शिक्षा*


गोंडा। बेसिक शिक्षा जांच की आंच से झुलस रहा है। एक के बाद एक जांच के आदेशों से विभाग की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। जिलाधिकारी मार्कंडेय शाही ने पूरे विभाग की समीक्षा कर 18 बिंदुओं पर गड़बड़ी पकड़ी है।
उन्होंने हर कमी के लिए जिम्मेदारी तय करके अधिकारियों और कर्मियों की सूची तलब की है। इसके साथ ही जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से भी स्पष्टीकरण तलब किया। जिलाधिकारी के तेवर से विभाग में खलबली मची है।


ट्रांसफर में शिक्षकों से वसूली के मामले की और स्वेटर खरीद की जांच के बाद एक साथ 18 बिंदुओं पर पड़ताल शुरू हो गई है। जिलाधिकारी विभाग की कार्य प्रणाली से खासे नाराज हैं। उन्होंने 42 एआरपी का चयन न होने और 437 शिक्षकों का दीक्षा एप पर पंजीकरण न होने को गंभीर माना है।
इसके अलावा 835 के स्थान पर अभी तक सिर्फ 291 शिक्षा संकुल की बैठकें ही की गईं हैं। 2611 स्कूलों में से सिर्फ 14 स्कूलों में ही आपरेशन कायाकल्प में सुविधाएं पूरी की गई हैं। यही नहीं नगरीय क्षेत्र के 28 स्कूलों में से किसी में कोई कार्य नहीं पूरा हुआ है।
जिला खनिज निधि व विनियमित क्षेत्र विकास निधियों से भी स्कूलों में सुविधाएं दी जा सकती थीं, लेकिन प्रस्ताव ही नहीं दिया गया। वर्ष 2020-21 में कंपोजिट ग्रांट का एक भी उपभोग नहीं मिला है। शारदा कार्यक्रम में आउट आफ स्कूल बच्चों के नामांकन में लापरवाही हुई है।

5-6 आयु वर्ग के 1338 और 7 से 14 आयु के 419 बच्चों के नामांकन का गैप है। स्वेटर वितरण में गड़बड़ी के शिकायतों में कार्रवाई और भुगतान रोके रखने पर भी जवाब मांगा है। यही नहीं मानव संपदा पोर्टल पर अवकाश लंबित रखने, सपोर्टिव सुपर विजन में 2588 पर्यवेक्षण के बजाए 1290 स्कूलों में ही पर्यवेक्षण किया गया है।
इसी तरह जिला टाक्स फोर्स व ब्लॉक टास्क फोर्स की ओर से 595 निरीक्षण करने थे, लेकिन सिर्फ 16 और बीएसए व खंड शिक्षा अधिकारियों के लिए तय 560 लक्ष्य के स्थान पर 268 निरीक्षण ही किए गए हैं। बच्चों को लॉकडाउन के दौरान 49 दिवसों का अनाज वितरण में भी लापरवाही मिली है, अभी तक 53.45 फीसदी ही वितरण हुआ है।
बजट के खर्च में लापरवाही के साथ ही समर्थ पोर्टल में भी उपलब्धि शत प्रतिशत नहीं है। सभी आधार किट सक्रिय नहीं हैं और जिला परियोजना कार्यालय के भी खर्च में कमी मिली है। जिलाधिकारी ने इन सभी बिंदुओं पर संबंधित की जिम्मेदारी तय करते हुए बीएसए से जवाब 15 फरवरी तक मांगा है।
बेसिक शिक्षा की योजनाओं के क्रियान्वयन पर जिलाधिकारी के कड़े रुख के बाद विभाग में खलबली है। विभाग के सभी ब्लाकों के साथ ही जिले स्तर पर कार्यरत छह समन्वयकों की ओर से अपने-अपने कार्यों की रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
इसके अलावा समग्र शिक्षा अभियान के सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी की मुश्किलें परियोजना के बजट में खर्च में ढिलाई से बढ़ गईं हैं। वह भी अभिलेखों का मिलान करने में जुटे रहे। विभाग की हर बिंदु पर रिपोर्ट मांगे जाने से हलचल मची है।
अंतर जनपदीय स्थानांतरण की कार्य मुक्ति में धन उगाही का मामला सामने आने पर जिलाधिकारी ने तीन सदस्यीय टीम से जांच कराई थी। जांच में बीएसए दफ्तर के साथ ही कई बिंदुओं पर पड़ताल की गई। इसकी रिपोर्ट भी तैयार हो गई थी। रविवार को जिलाधिकारी की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट शासन को भेज दिया गया है। रिपोर्ट को अभी गोपनीय ही रखा गया।
सिर्फ रिपोर्ट भेजे जाने की जानकारी दी गई है। फिलहाल माना जा रहा है कि रिपोर्ट में कुछ मामलों की पुष्टि हुई है। वजीरगंज में जिन शिक्षकों से वसूली का मामला सामने आया था, उनकी कार्यमुक्ति पहले किए जाने की बात सामने आने की चर्चा है। इसके अलावा डिस्पैच में कुछ हेराफेरी की बात भी उजागर होने की बात कही जा रही है। रिपोर्ट के बारे में कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। फिलहाल रिपोर्ट भेजने के बाद कई तरह की चचाएं पूरे दिन होती रहीं।


गोंडा से अरविंद पांडे की रिपोर्ट

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