सिविल सेवा परीक्षा में अपनी सम्पूर्ण क्षमता का उपयोग करते हुए परीक्षा पर ध्यान देने और उत्तीर्ण होने के प्रति दृढ़ निश्चय करने की आवश्यकता
श्री जितेन्द्र कुमार, प्रमुख सचिव, भाषा विभाग
संस्कृत साहित्य की सहभागिता और संस्कृत साहित्य को रोजगार उन्मुख बनाने के साथ ही प्रशासनिक सेवा में सहभागिता बढ़ाने के उद्देश्य से उ0प्र0 संस्कृत संस्थान द्वारा संवाद सत्र का आयोजन किया गया
लखनऊ, दिनांक 08 फरवरी 2021
उ0प्र0 संस्कृत संस्थान द्वारा आज उूर्द अकादमी, विभूति खण्ड, गोमती नगर, के प्रेक्षागृह में संस्थान द्वारा संचालित सिविल सेवा निःशुल्क कोचिंग एवं मार्गदर्शन के द्वितीय सत्र वर्ष 2020-21 के सभी प्रशिक्षणरत प्रवेशार्थियों को संस्कृत साहित्य की सहभागिता और संस्कृत साहित्य को रोजगार उन्मुख बनाने के साथ ही प्रशासनिक सेवा में सहभागिता बढ़ाने के उद्देश्य से संस्थान द्वारा इंटरेक्शन प्रोग्राम (संवाद सत्र) का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री जितेन्द्र कुमार, प्रमुख सचिव, भाषा विभाग उ0प्र0 शासन ने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा में अपनी सम्पूर्ण क्षमता के द्वारा परीक्षा पर ध्यान देने और उत्तीर्ण होने के प्रति दृढ़ निश्चय करने की आवश्यकता है। उन्होनें सिविल सेवा की तैयारियों में अपने अनुभव साझा करते हुए प्रतिभागियों में नई उर्जा का संचार किया और उनका मनोबल बढ़ाया। इस अवसर पर प्रमुख सचिव द्वारा सिविल सेवा निःशुल्क कोचिंग एवं मार्गदर्शन कार्यक्रम में अभ्यर्थियों को निःशुल्क वितरण किये जाने वाले नोट्स का विमोचन किया गया तथा सिविल सेवा परीक्षा की विधिवत् जानकारी एवं अभ्यर्थियों व आम जनमानस को सूचना उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सिविल सेवा एप का भी लोकार्पण किया गया।
विशिष्ट अतिथि डाॅ. बह्मदेव राम तिवारी, आई.ए.एस.,विशेष सचिव-पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने भी संस्कृत भाषा को मुख्य विषय बनाने तथा उसके द्वारा अपने लक्ष्य तक पहुंचने के बारे अपना अनुभव बताया तथा इस बात की ओर इंगित किया कि संस्कृत विषय जितना सरल है, उतना ही इस विषय से परीक्षा उत्तीर्ण करना भी आसान है, साथ ही, अंकपत्र की गणना को बढ़ाता है। विशिष्ट अतिथि श्री डी.के. ठाकुर जी पुलिस कमिश्नर, लखनऊ ने संस्कृत विषय से सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने की रणनीति तथा कार्ययोजना को साझा करते हुए सभी छात्र छात्राओं को अपने लक्ष्य के प्रति ठोस रूपरेखा बनाकर तैयारी करने की विधि बतायी।
संस्थान के निदेशक पवन कुमार ने कहा कि संस्कृत भाषा को पुनरोत्थान की नहीं बल्कि उसे नवीन सामाजिक जन-जीवन में उतारने की आवश्यकता है, जिससे कि इस भाषा का और भी विकास हो सके।
कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के अध्यक्ष डाॅ. वाचस्पति मिश्र द्वारा की गयी। उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में संस्कृत विषय की प्रासंगिकता के बारे में बताया और संस्कृत भाषा के वैश्विक भाषा अंग्रेजी के शब्दों का सम्बन्ध व्याख्यायित किया तथा अभ्यर्थियों को इस भाषा के माध्यम से अंग्रेजी शब्दावलियों के समझने के उदाहरण दिये।
सिविल सेवा निःशुल्क कोचिंग एवं मार्गदर्शन, लखनऊ केन्द्र के संयोजक डाॅ. शीलवन्त सिंह जी ने सिविल सेवा कोचिंग के सम्पूर्ण कार्यक्रम तथा चयनित अभ्यर्थियों को सम्बोधित करते हुए प्रशासनितक सेवाओं में संस्कृत साहित्य की सहभागिता एवं संस्कृत विषय को रोजगारोन्मुख बनाने हेतु उ0प्र0 संस्कृत संस्थान द्वारा सिविल सेवा कोचिंग के 10 माह के निःशुल्क प्रशिक्षण दिये जाने के सराहनीय कार्य का स्वागत किया।
 
विशिष्ट वक्ता डाॅ. ए.पी. सिंह, प्रोफेसर, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ ने सिविल सेवा परीक्षा में नीतिशास्त्र की उपयोगिता तथा व्यवहारिक जीवन में उसके कार्यान्वयन के बारे में बताया श्री पंकज कुमार मिश्र, एसोशिएट प्रोफेसर, सेण्ट स्टीफेन्स काॅलेज, दिल्ली ने कहा कि संस्कृत भाषा तथा साहित्य समाज के अवलोकन का एक नवीन दृष्टिकोण प्रदान करती है तथा अभ्यर्थियों में तार्किक क्षमता के द्वारा अपने विषय को समझने और दक्ष होने की प्रतिभा को प्रकाशित करती है।
कार्यक्रम के अन्त में संस्थान के अध्यक्ष डाॅ. वाचस्पति मिश्र जी के द्वारा संस्कृत भाषा की प्राचीन समय में प्रासंगिकता तथा उसके प्रति वैश्विक आकर्षण के बारे में बताया फाह्यान जैसे विद्वत् जनों की संस्कृत भाषा के प्रति रूचि से लेकर आधुनिक जीवन में इसकी उपयोगिता को बताते हुए कार्यक्रम में उपस्थित विद्वानों तथा अतिथितियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। संस्थान के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी  मिश्र जी ने कार्यक्रम के सुचारू रूप से संचालन हेतु संस्थान के सभी सदस्यों तथा सिविल सेवा प्रशिक्षण केन्द्र के शिक्षकगणों एवं सदस्यों को धन्यवाद ज्ञापित किया तथा अभ्यर्थियों को इस केन्द्र द्वारा प्रदान की जाने वाली शिक्षा को ग्रहण करने और अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने हेतु प्रेरित किया ।

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