से अधिक संख्या में भक्तों ने मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन किया। मंगलवार की भोर में मंगला आरती के बाद शुरू हुए दर्शन व पूजन का सिलसिला दिनभर चलता रहा। गंगा स्नान, ध्यान के बाद मंदिर पहुंचकर श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी की एक झलक पाने के लिए कतारबद्ध रहे।
वसंत पंचमी पर मां विंध्यवासिनी की दर्शन के लिए कुछ भक्तों ने पूर्व संध्या पर ही आस्था धाम में अपना डेरा डाल दिया। मंगलवार की भोर में गंगा घाट पहुंचकर स्नान के बाद मंदिर की ओर कूच किया। मंगला आरती के पश्चात जैसे ही मंदिर के कपाट खुले, माता के जयकारे से मंदिर परिसर गुंजायमान हो गया। मां विंध्यवासिनी के दर्शन व पूजन के बाद अधिकतर भक्त सरस्वती माता मंदिर पहुंचे।इस अवसर सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस कर्मियों के साथ ही साथ श्री विंध्य पंडा समाज सदस्य भी मुस्तैद रहे। गुप्त नवरात्र के पंचमी पर कई साधक मंदिर छत पर पाठ करते रहे। मंदिर छत पर जनेऊ संस्कार किया गया। मां विंध्यवासिनी के दर्शन व पूजन पश्चात कालीखोह व अष्टभुजा मंदिर पहुंचकर श्रद्धालुओं ने माता काली व अष्टभुजा देवी के दर्शन व पूजन किए
वसंत पंचमी पर मां विंध्यवासिनी की दर्शन के लिए कुछ भक्तों ने पूर्व संध्या पर ही आस्था धाम में अपना डेरा डाल दिया। मंगलवार की भोर में गंगा घाट पहुंचकर स्नान के बाद मंदिर की ओर कूच किया। मंगला आरती के पश्चात जैसे ही मंदिर के कपाट खुले, माता के जयकारे से मंदिर परिसर गुंजायमान हो गया। मां विंध्यवासिनी के दर्शन व पूजन के बाद अधिकतर भक्त सरस्वती माता मंदिर पहुंचे।इस अवसर सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस कर्मियों के साथ ही साथ श्री विंध्य पंडा समाज सदस्य भी मुस्तैद रहे। गुप्त नवरात्र के पंचमी पर कई साधक मंदिर छत पर पाठ करते रहे। मंदिर छत पर जनेऊ संस्कार किया गया। मां विंध्यवासिनी के दर्शन व पूजन पश्चात कालीखोह व अष्टभुजा मंदिर पहुंचकर श्रद्धालुओं ने माता काली व अष्टभुजा देवी के दर्शन व पूजन किए
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