वन आरक्षित क्षेत्र से अवैध कब्जा हटाने की कवायद तेज

कालपी मे डीएफओ ने बरती सख्ती

 कालपी (जालौन)
कालपी खास मौजे की वन आरक्षित बेशकीमती भूमि में अवैध कब्जे धारकों से मूक्त करने के लिए विभागीय अधिकारियों के द्वारा एक सैकड़ा लोगों को नोटिस दिए गए हैं। इसके बावजूद भी अवैध कब्जे धारक सरकारी भूमि को खाली करने के लिए  टस से मस नहीं हो रहे। इसी को मद्देनजर रखकर जिले के उप संरक्षक अंकेश श्रीवास्तव ने कल देर शाम को कालपी क्षेत्र का भ्रमण करके वन विभाग की जमीन को अतिक्रमणकारियों से मुक्त करने के निर्देश दिए।
 विदित हो कि यमुना नदी के किनारे कालपी नगर की वन आरक्षित बेश कीमती जमीन है। वन क्षेत्राधिकारी राकेश सचान ने बताया कि करीब ढाई सौ लोगों द्वारा वन आरक्षित भूमि मे अवैध कब्जे करके स्थाई तथा अस्थाई घर बना लिए गए हैं। इसी को संज्ञान में लेकर 60 अवैध कब्जे धारकों के खिलाफ सक्षम न्यायालय में जमीन खाली कराने को लेकर मुकदमे लंबित हैं। बीते एक साल के दौरान करीब 90 लोगों को नोटिस देकर आरक्षित जमीन को खाली करने के लिए चेतावनी दी गई है। इसके बावजूद भी अवैध कब्जे तारक जमीन को खाली करने के लिए तैयार नहीं। रेजर ने बताया कि उच्च अधिकारियों को पत्र के माध्यम से अवगत कराया जा चुका है। कल शाम को यमुना नदी बाई घाट रोड में अवैध कब्जे की शिकायत पर वन विभाग के द्वारा कार्रवाई की गई थी। शाम को जनपद के डीएफओ अंकेश श्रीवास्तव ने कालपी क्षेत्र में भ्रमण किया। उन्होंने वन आरक्षित जमीन में अवैध कब्जा धारकों की हकीकत का जायजा लेकर मातहतों को जरूरी निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी को अवैध कब्जे के बारे में अवगत करा कर प्रभावी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।स्थानीय नगर के महमूदपुरा, हरी गंज आदि मोहल्लों में आरक्षित भूमि स्थित है। वन आरक्षित जमीन में नगर पालिका परिषद के द्वारा सड़कें भी बनवा दी गई है। कई लोगों ने प्रधानमंत्री आवासीय योजना के तहत अपने घर भी बनवा लिए गये हैं। आखिर वन आरक्षित भूमि में सड़कें तथा प्रधानमंत्री आवास योजना के घर कैसे बन गए। इसको लेकर सरकारी कर्मचारियों की भूमिका को सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।


जालौन से अनिल कुमार की रिपोर्ट

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