अब मच्छरों व दूषित जल से ही नहीं, पालतू पशुओं से भी इंसेफ्लाइटिस का खतरा बढ़ गया है। उनकी पीठ पर भी एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के जीवाणु पाए गए हैं। जनरल आफ अमेरिकन सोसाइटी आफ मेडिकल एंटोमोलाजी में प्रकाशित हुआ शोध में यह चौंकाने वाली बातें क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) के शोध में सामने आईं हैं। शोध जनरल आफ अमेरिकन सोसाइटी आफ मेडिकल एंटोमोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। चरगावां व भटहट के चार गांवों में हुए शोध में पशुओं के शरीर पर चार तरह के जूं (किलनी) पाए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा रिकेट्सिया बैक्टीरिया मिले हैं जो इंसेफलाइटिस का कारण है। चरगावां ब्लॉक के जंगल डुमरी व जंगल अयोध्या तथा भटहट ब्लॉक के करमहां व बरगदही गांव में गाय, भैंस, कुत्ते व बकरी पर शोध किए गए। इनमें बोफिलस माइक्रोप्लस, हायलोमा कुमारी, रिफिसेफेलस सैंग्वीनियस व डर्मासेंटर आरोटस नामक जूं पाए गए। इन चारों जूं में रिकेट्सिया व एनाप्लाज्मा नामक दो बैक्टीरिया मिले हैं। बोफिलस माइक्रोप्लस में ये दोनों बैक्टीरिया मौजूद हैं, जिसमें रिकेट्सिया की संख्या 83.8 फीसद है। बुखार के कारण दोनों हैं, लेकिन रिकेट्सिया के शरीर में जाने से एईएस होने की आशंका रहती है। शोध में डॉ. बृजनंदन मिश्रा, डॉ. हीरावती, डॉ. अशोक पांडेय व डॉ. विजय बोंद्र का सहयोग रहा। 

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