मिलिए
एक ऐसी महिला से, जिन्होंने
तोड़ी जाति-धर्म की बेड़ियां, ऐसा
करने वाली देश की बनी पहली नागरिक
धर्म जाति मजहब से उपर उठ
करके इस महिला ने न केवल अनोखी लड़ाई जीती है बल्कि दुनिया भर में मिशाल कायम किया
है इनकी उपलब्धि जानकर आप सोचने पर विवश होंगे
की आखिर समाज में धर्म जाति की जरूरत क्यों है ?
भारत देश में धर्म और जाति
के नाम पर हिंसा और सांप्रदायिक दंगे आम हो चुके हैं । धर्म के नाम पर राजनीति भी
चरम पर है । धर्म और जाति को लेकर वाद-विवाद होते हैं । यहां तक कि लोग एक दूसरे
की जान लेने पर भी उतारू हो जाते हैं ।अगर भारत ने हाल के दिनों में जाति-आधारित
हिंसा के बढ़ते मामलों को देखा, तो देश ने 5 फरवरी को एक ऐसी महिला की जीत भी देखी, जिसने सारे धर्मों को त्यागकर एक मिसाल कायम की।
यह कहानी वेल्लूर की रहने
वाली स्नेहा प्रतिभा राजा की है। जो पेशे से वकील हैं। लेकिन इनकी पहचान यह नहीं
है। इनकी पहचान यह है कि प्रतिभा देश की पहली नागरिक हो गई हैं, जिन्होंने वैधानिक तौर पर
धर्म और जाति विहीन ( No Cast No religion certificate) होने का सर्टिफिकेट हासिल कर लिया है। हालांकि इसके लिए उन्हें 8 साल तक लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी
है। प्रतिभा कहती हैं बतौर मनुष्य हम ब्रह्मांड की सर्वाधिक विकसित प्रजाति हैं तो
फिर हमें जाति और धर्म की क्या जरूरत?
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