अंबेडकर नगर। एक तरफ सन् 1995 से जो सीटें आरक्षित नहीं हुई है उन सीटों पर आरक्षण की तलवार लटकने की अटकलों के बीच पंचायती चुनाव मे तेजी दिखा रहे सामान्य व ओबीसी वर्ग के दावेदारों की सक्रियता जहां ढीली पड़ गई है वहीं दूसरी तरफ इन सीटों पर एससी वर्ग के प्रत्याशियों के द्वारा चुनावी कमान संभालते हुए प्रचार अभियान को गति देने का कार्य शुरू कर दिया गया है।पंचायत चुनाव होने की सुगबुगाहट होते ही क्षेत्र में दावेदारों की सक्रियत बढ़ गई थी। लोग एक दूसरे के सुख दुख में अपनी सामाजिक गतिविधियों को तेज करते हुए सक्रिय भूमिका निभाते हुए देखे जा रहे थे। लेकिन आरक्षण के सन्दर्भ में शासन के द्वारा जारी दिशानिर्देशों को लेकर चुनावी मैदान में डटे कई दावेदारों के माथे पर शिकन तो कई के माथे पर खुशी देखने को मिल रही है।और यह शिकन और खुशी उन क्षेत्रों में ज्यादा देखने को मिल रही है जो पंचायतें 1995 से आज तक आरक्षित नहीं हुई हैं। बताया जाता है 1995,2000, 2005,2010, 2015 मे जो पंचायतें कभी आरक्षित नहीं हुई थी।उनके आरक्षित होने के अवसर ज्यादा है। जिसकी चर्चाओं के चलते वर्षों से इन सीटों पर सामान्य व अन्य पिछड़े वर्ग के दावेदारों की चुनावी रफ्तार ढीली पड़ गई है। लोग चुनाव प्रचार की तेजी के लिए अब 3 मार्च के बाद की स्थिति का इंतज़ार कर रहे हैं।जिले के प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा 3 मार्च के बाद ही आरक्षण की सूची जारी करने की संभावना जताए जाने की चर्चाएं जोरों पर हैं। आरक्षण की सूची जारी होने के बाद इस पर त्रुटि आदि आपत्ति के लिए तिथि जारी होगी।जिसकी सीमा 10 मार्च बताई जा रही है।जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख एवं जिला पंचायत के सदस्यों के पदों लिए आरक्षण की सूची शासन के द्वारा जारी होने के बाद अब आरक्षण की प्रक्रिया में उलझी ग्राम सभाओ में प्रधान, क्षेत्र पंचायत एवं ग्राम सभा के सदस्यों के पदो को लेकर आरक्षण की सूची जारी करने को लेकर माथापच्ची शुरू कर दी गई है। जिसकी स्थति 14 मार्च के बाद ही स्पष्ट हो सकेगी। साथ ही आरक्षण की भी एक सीमा निश्चित है। फिलहाल जब तक आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती है। तब तक सभी वर्गों के प्रत्याशी धीमी गति से ही सही लेकिन अपनी चुनाव प्रचार की कमान को धार देने में जुटे हैं।

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