*सांसारिक मोह ही समस्त दुखों का कारण होता है : अंकुश महाराज* 



रामपुरा, जालौन। सांसारिक मोह ही समस्त संकट और दुखों का कारण होता है ।
रामपुरा नगर कालका देवी बाजार में हो रहे श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह में व्यासपीठ पर विराजमान प्रसिद्ध समाज सुधारक अंतर्राज्यीय कथा वक्ता अंकुश महाराज ने कहा कि मानव योनि में जन्म लेने का अर्थ है कि परमात्मा ने हमें सांसारिक बंधन से मुक्त होने का अवसर प्रदान किया है यदि जीव मानव योनि में परमात्मा का ध्यान करते हुए परमात्मा का ही हो जाता है तो उसके जीवन में कभी कोई विपत्ति नहीं आती एवं वह सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाता है यदि संसार के आकर्षण आसक्ति में फंस कर ईश्वर को विस्मृत करता है तो उसे संकटों का सामना करना पड़ता है। इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जगत जननी जानकी मैया को जब राम से अधिक स्वर्ण मृग का चाम प्रिय लगने लगा तभी से उनके जीवन में संकट उत्पन्न हो गया। दान की महिमा पर बोलते हुए अंकुश महाराज ने राजा बलि की कथा सुनाते हुए कहा कि दैत्यगुरु शुक्राचार्य के द्वारा भगवान की पहचान करा देने के बाद भी अपने वचन से ना फिरते हुए राजा बलि ने भगवान को सर्वस्व दान कर दिया परिणाम स्वरुप भगवान को स्वयं राजा बलि के अधीन होना पड़ा तब माता लक्ष्मी ने भगवान को मुक्त कराने के लिए दैत्य कुल के राजा बलि की बहन बनना स्वीकार किया। रक्षाबंधन के अवसर पर बहनों द्वारा भाइयों की कलाई में राखी बांधने को मात्र एक लीक पीटने की परंपरा न समझने की बात कह कर वैज्ञानिक व धार्मिक विश्लेषण किया। अंकुश महाराज ने बताया कि श्रावण मास में बहनों के द्वारा भाइयों की कलाई में बांधी जाने वाली राखी आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही बाजार से खरीद कर लाया जाए, तदोपरांत अपने पूजाघर में भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी के समक्ष रखकर प्रतिदिन राखी के धागे का पूजन करें एवं माता लक्ष्मी एवं भगवान विष्णु से प्रार्थना करें कि इस धागे में देव शक्तियां प्रवाहित हो एवं जो भी इस धागे को धारण करें उस पर कभी कोई संकट ना आए तथा ईश्वर उसकी रक्षा करें तो निश्चित रूप से यह राखी अपना प्रभाव दिखाएगी।



जालौन से अनिल कुमार की रिपोर्ट।

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