नई दिल्ली, पीटीआई। भारत को जल्द अपना खुद का नेविगेशन ऐप मिलने जा रहा है। साथ ही मैपिंग पोर्टल और भू-स्थानिक डेटा सर्विस उपलब्ध होगी। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने लोकेशन एंड नेविगेशन टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन प्रोवाइडर MapMyIndia के साथ मिलकर एक साझेदारी की है, जो भारत को स्वदेशी नेविगेशन सर्विस उपलब्ध कराएगी। MapmyIndia के सीईओ और एक्जीक्यूटिव डॉयरेक्टर रोहन वर्मा ने कहा कि इसरो की तरफ से सैटेलाइट इमेज और ऑब्जर्वेशन डेटा उपलब्ध कराया जाएगा। जबकि MapmyIndia डिजिटल तरीक से सर्विस उपलब्ध कराएगा। उन्होंने कहा कि यह भारत के आत्मनिर्भर भारत अभियान में मील का पत्थर साबित होगा। ऐसे में यूजर को नेविगेशन सर्विस, मैप और भू-स्थानिक सेवाओं के लिए विदेशी संस्थाओं पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। रोहन वर्मा ने कहा कि अब आपको Google Map, Google Earth की जरूरत नहीं रहेगी। 

*इसरो ने मैप माई इंडिया से की साझेदारी* 


ISRO के मुताबिक डिपॉर्टमेंट ऑफ स्पेस ने MapmyIndia के साथ साझेदारी की है। इसमें NavIC, Bhuvan जैसी स्वदेशी सर्विस की मदद ली जाएगी। बता दें कि इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) को NavIC (Navigation with Indian Constellation) कहा जाता है। यह भारत का स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम है, जिसे ISRO ने विकसित किया है। वही Bhuvan एक केंद्रीय जियो-पोर्टल है, जिसे इसरो ने विकसित और होस्ट किया है। इसमें भू-स्थानिक डेटा सर्विस और एनालिस्स के लिए टूल हैं। 


 *क्या होगा खास*

स्वदेशी नेविगेशन ऐप कई मायनों में Google Map से खास होगा। 
इसमें भारत सरकार के दिशा निर्देश के आधार पर सीमावर्ती इलाकों को दर्शाया जाएगा।
इसमें भारत की एकता, अखंडता का खास ख्याल रखा जाएगा। 
इसमें रियल सैटेलाइट इमेज मिलेंगी, जिसे इसरो की तरफ से उपल्बध कराया जाएगा। 
स्वदेशी नेविगेशन ऐप बिल्कुल मुफ्त होगा। 
स्वदेशी नेविगेशन ऐप कोई विज्ञापन बिजनेस मॉडल के साथ नहीं आएगा। 
MapmyIndias का मैप भारत के करीब सभी 7.5 लाख गांवो, 7500 से ज्यादा शहरों की सड़क, बिल्डिंग को कवर करता है। साथ ही देशभर के सभी 63 लाख किमी. रोड नेटवर्क की डिटेल है। मैप माई इंडिया करीब 3 करोड़ स्थानों की जानकारी उपलबध कराता है। 

भारत के स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम को मिली मान्यता, अमेरिका, चीन और रूस के बाद ऐसा करने वाला चौथा देश बना*

नेविगेशन के क्षेत्र में भारत ने एक नया मुकाम हासिल किया है. भारत अब उन चार चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है जिन्होने अपना खुद का नेविगेशन सिस्टम ईजाद कर लिया है. इसरो द्वारा तैयार किए गए ‘नेवआईसी’ सिस्टम को इंटरनेशनल मेरीटाइम ऑर्गेनाइजेशन (आईएमओ) ने मान्यता दे दी है.


इंडियन स्पेस रिर्सच ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) के मुताबिक, आईएमओ नेवआईसी को वर्ल्ड़वाइड रेडियो नेविगेशन सिस्टम (डब्लूडब्लूआरएनएस) के तौर पर मान्यता दे दी है. ये मान्यता पिछले वर्ष नबम्बर के महीने में आईएमओ के एक 102वें सेशन में दी गई थी. इसरो के मुताबिक, आईएमओ की मेरीटाइम सेफ्टी कमेटी ने नेवआईसी को सभी ऑपरेशन्ल जरूरतों पर खरा पाते हुए समंदर में नेविगेशन करने में मदद करने की हरी झंडी दे दी है.

इसके तहत नेवआईसी 55 डिग्री ईस्ट लॉन्गिटियूड से 50 डिग्री नार्थ लेटिट्यूड, 110 डिग्री ईस्ट लॉन्गिट्यूड और 5 डिग्री साउथ लेटिट्यूड के क्षेत्र में नेविगेशन में मदद कर सकता है. आईएमओ के इस विशेष अधिवेशन में भारत की तरफ से डायरेक्टरेट जनरल ऑफ शिपिंग, जहाजरानी और बंदरगाह मंत्रालय सहित इसरो की टेक्निकल टीम मौजूद थे.


इस मान्यता मिलने के बाद भारत अब अमेरिका (‘जीपीएस’), रूस (‘ग्लोनेस’) और चीन (‘बेईदाऊ’) के साथ उन चुनिंदा देशों में शुमार हो गया है जिन्होनें सैटेलाइट की मदद से खुद का नेविगेशन सिस्टम तैयार कर लिया है और दुनियाभर में मान्यता भी मिल गई है. इसरो के मुताबिक, नेवआईसी को मान्यता मिलने से समंदर में नेविगेशन में तो मदद मिलेगी ही साथ ही सर्व और जेओडेसी (भूमंडल नापने) इत्यादि में भी मदद मिल सकेगी. इसके अलावा जमीन और हवा में नेविगेशन के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके अलावा व्हीकल-ट्रैकिंग और फ्लीट मैनजेमेंट, ड्राइवर्स यानि वाहन-चालकों के लिए विजुयल एंड वॉयस नेवीगेशन और प्रेसाइस-टाइमिंग के लिए.

आपको बता दें कि इंडियन रिजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (आईआरएनएसएस) यानि नेवआईसी देशभर में सीमाओं से करीब 1500 किलोमीटर दूर तक पूरी तरह से सटीक जानकारी देता है—हालांकि इसका एक्सटेंडेड सर्विस एरिया भी है. आईआरएनएसएस दो तरह से अपनी सेवाएं प्रदान करेगा. पहला जीपीएस की तरह स्टैंर्डड पोजिशनिंग सिस्टम जिसे कोई भी यूज़र इस्तेमाल कर सकता है. और दूसरा रेस्ट्रिक्टेड-सर्विस की तरह. इसरो का दावा है कि ये सिस्टम प्राइमरी सर्विस एरिया में 20 मीटर तक सही जानकारी देता है.


इसरो का दावा है कि इस नेवआईसी के लिए कुल आठ सैटेलाइट इस्तेमाल की जाती हैं. साथ ही एक प्राईवेट कंपनी को नेवआईसी चिप बनाने की जिम्मेदारी दी गई है जो मोबाइल हैंडसैट कंपनियों को ये चिप मुहैया कराईगी ताकि नए मोबाइल फोन नेवआईसी का इस्तेमाल कर सकें. इससे नेवआईसी हर हैंडसेट, एप्लीकेशन और प्रोसेसर्स में एक स्टैंडर्ड फीचर की तरह हो. इससे स्मार्टफोन्स की जियो-लोकेशन क्षमता भी कवरेज एरिया में बढ़ जाएगी.

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