गिरजा शंकर गुप्ता
अंबेडकर नगर। विकासखंड कटेहरी के अंतर्गत लोकापुर ग्राम में चल रहे भागवत कथा के चौथे  दिन वुधवार को प्रसिद्ध कथावाचक पंडित कामता प्रसाद  त्रिपाठी "कमल" जी महाराज ने शिव पार्वती के विवाह का प्रसंग सुनाया। कथावाचक ने माता सती के त्याग का वर्णन करते हुए कहा कि...
 
एहि तनि सती भेंट अब नाहि।।
शिव संकल्प कीन मन माहि ।।

शिवजी ने माता सती का त्याग करते हुए तपस्या में लीन हो गये और 87 हजार वर्ष तक लगातार तपस्या में लीन रहे। 
कथा व्यास ने कहा कि कथा जीवन की व्यथा को समाप्त कर देती है। आज हजारों साल बाद माता सती भोलेनाथ के सम्मुख बैठी हैं और भगवान शिव ने उनको क्षमा कर दिया। कामदेव ने देवताओं तथा जगत कल्याण के लिए शिवजी पर अपने पुष्प बाण से घात किया। शिवजी का नेत्र खुलते ही कामदेव भस्म हो गए।

  तब देवताओं की प्रार्थना पर महादेव महाराज हिमांचल की कन्या पार्वती से विवाह को तैयार हो गए। जब शिव की बारात हिमालय पर जाने के लिए तैयार हुई तो समस्त देवता तैयार होकर चल दिये। शिव अपने गणों के साथ नंदी पर सवार होकर महाराज हिमाचल के द्वार पर पहुंचते हैं। शिवगणों को देखकर महारानी मैना डर जाती हैं और पार्वती को पकड़कर रोने लगती हैं। तभी नारद जी प्रकट होते हैं और शिव और पार्वती के पूर्व जन्म की कथा का वर्णन करते हैं। इससे महारानी मैना का संताप दूर होता है तथा बड़ी धूमधाम से शिव और पार्वती का विवाह संपन्न होता है। चंद्रिका प्रसाद त्रिपाठी, बाबा श्याम सुंदर दास के मधुर भजनों ने श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।
 कथा आयोजक  बृज किशोर तिवारी ने बताया की कथा के अंतिम दिन यज्ञ का आयोजन किया गया है सुरेंद्र कुमार सहित काफी संख्या में भक्त गण उपस्थित रहे।

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