आगरा || जोंस मिल की 2596.57 करोड़ की संपत्तियां 71 साल में उच्च न्यायालय की रोक के बावजूद भूमाफिया और उनके वारिसों ने बेच डालीं। तहसील से लेकर आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) और कलक्ट्रेट तक जमीनों की खरीद-फरोख्त का फर्जीवाड़ा होता रहा लेकिन प्रशासन को खबर तक नहीं लगी। बम विस्फोट के बाद पांच महीने चली आठ सदस्यीय जांच रिपोर्ट में शनिवार को कई चौंकाने वाले खुलासे प्रशासन ने किए हैं।


जिलाधिकारी प्रभु एन. सिंह ने बताया कि सबसे पहले जोंस परिवार को तत्कालीन कलक्टर द्वारा विभिन्न शर्तों के तहत दी गई 107.51 करोड़ कीमत की भूमि पर तत्काल प्रशासन कब्जा लेगा। 1940 में हुआ बटवारा शून्य हो गया है। जमीनों की खरीद-फरोख्त पर रोक बरकरार रहेगी। 16 नवंबर 1949 को गजट नोटिफिकेशन के बाद यहां जमीनों के लिए कलक्टर अधिकृत नियंत्रक थे। 

उच्च न्यायालय की रोक के बावजूद बिना नियंत्रक की अनुमति स्व. गंभीर मल पाण्डया, मुन्नी लाल मेहरा और एचएल पाटनी और उनके वारिसों ने 2596.57 करोड़ की संपत्ति खुदबुर्द कर दीं। प्रशासन ने इन्हें भूमाफिया घोषित करते हुए इनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करा रहा है। इनके द्वारा 1949 के बाद किए सभी बैनामे भी शून्य घोषित हो गए हैं। इन तीनों ने फर्जी दस्तावेजों से करीब 75 से अधिक बैनामे किए। प्रशासन उन जमीनों को खाली कराएगा। वहां राज्य सरकार का कब्जा स्थापित किया जाएगा।

*48319 वर्ग मीटर भूमि से ध्वस्त होंगे कब्जे*
 
जोंस मिल में नहर, तालाब, नजूल व राजस्व श्रेणी की 48319.90 वर्ग मीटर जमीन जांच में सामने आई है। इन जमीनों से अवैध कब्जे ध्वस्त होंगे। नहर, तालाब की जमीनों को उनके पुराने स्वरूप में लाया जाएगा।

*जारी रहेगी खरीद-फरोख्त पर रोक*
 
जिलाधिकारी प्रभु एनसिंह ने बताया जोंस मिल की जमीनों की खरीद-फरोख्त पर लगी रोक आगे भी जारी रहेगी। जमीनों को खुदबुर्द करने में मुख्य भूमिका निभाने वाले गंभीरमल पाण्डया, मुन्नी लाल मेहरा और एचएल पाटनी व उनके वारिसों के अलावा राजेंद्र प्रसाद जैन उर्फ रज्जो जैन, सरदार कंवलदीप सिंह और हेमेंद्र अग्रवाल उर्फ चुनमुन को भूमाफिया घोषित किया जाएगा। 

*मौरिन जोंस का दावा भी खारिज*

जांच टीम ने जोंस परिवार का कोई अविवादित विधिक वारिस नहीं होने के कारण मौरिन जोंस का दावा भी खारिज कर दिया है। जोंस परिवार की पूरी जमीन अब सरकारी होगी। इसके अलावा घटवासन मौजा की अन्य जमीनों की जांच व रिकार्ड प्रबंधन के लिए राजस्व परिषद को एक अलग से प्रस्ताव भेजा जाएगा।

*...तो नहीं होता खुलासा*

जोंस मिल मामले में मुख्य शिकायतकर्ता कपिल वाजपेयी ने कहा कि 71 साल तक प्रशासन की नाक के नीचे जमीनों का फर्जीवाड़ा होता रहा और अफसर लापरवाह बन रहे। भूमि का रिकॉर्ड प्रबंधन कलक्टर की जिम्मेदारी है। जुलाई 2020 में अगर जोंस मिल में विस्फोट नहीं होता तो इस फर्जीवाड़े का कभी खुलासा भी नहीं होता। 

*25 रुपये सालाना किराए पर लेकर 107 करोड़ की जमीन पर लिया कब्जा*

जोंस मिल में 107.51 करोड़ रुपये की नजूल व अन्य सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे किए गए। ये 25 रुपये सालाना किराये पर दी गईं थीं। तत्कालीन कलक्टर द्वारा जॉर्ज एंथनी जॉन के हक में लीज की पांच सेल डीड की गईं। इनकी मियाद 1990 में खत्म हो चुकी है। यह खुलासा जांच रिपोर्ट में है। इन जमीनों पर हुए अवैध निर्माण प्रशासन सबसे पहले ध्वस्त करेगा।


जोंस मिल की जांच में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। एडीएम प्रशासन निधि श्रीवास्तव की जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि तत्कालीन कलक्टर ने 1900 से 1915 तक पांच जमीनों की सेल डीड जोंस एंड कंपनी के मालिक जॉर्ज एंथनी जोन के हक में 90 साल के लिए निष्पादित की थीं। शर्त ये थीं कि कलक्टर की अनुमति के बिना भूमि के स्वरूप में कोई परिर्वतन नहीं किया जाएगा।

लीज की शर्तों में पहले 30 वर्षों के लिए 25 रुपये सालाना और बाद में 30 वर्षों के लिए 30 रुपये और शेष वर्षों के लिए 50 रुपये किराए का करार हुआ। इस तरह करीब 4027 वर्ग मीटर नजूल भूमि गाटा 2088, 2072 और 2018 में जॉर्ज एंथनी जोन को आवास निर्माण के लिए दी गई थीं। इन जमीनों की वर्तमान कीमत सर्किल रेट के हिसाब से 47 करोड़ रुपये है।

*नहर की 7.28 एकड़ जमीन दी गई*

नजूल भूमि के अलावा नहर विभाग की 7.28 एकड़ भूमि भी तत्कालीन कलक्टर द्वारा जॉर्ज एंथनी जोन को 1919 में दी गई थी। इसकी वर्तमान कीमत करीब 60.51 करोड़ रुपये है।

*अवैध बैनामों पर बनी इमारतों पर कब्जा लेगा प्रशासन, कानूनी प्रक्रिया शुरू*

जोंस मिल में फर्जी बैनामों के आधार पर बने मॉल, मैरिज होम, दुकान, पेट्रोल पंप व गोदाम बंद होंगे। ऐसे 139 निर्माणों पर जिला प्रशासन कब्जा लेगा। डीएम प्रभु एन सिंह के आदेश पर एडीएम प्रशासन निधि श्रीवास्तव ने कब्जेदारों को हटाने के लिए कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। कार्रवाई के लिए प्रस्ताव राजस्व परिषद को भेजा जाएगा।


जिला प्रशासन ने जोंस मिल में जमीनों की खरीद-फरोख्त के सभी हस्तांतरण शून्य घोषित कर दिए हैं। मुन्नी लाल मेहरा, हीरालाल पाटनी और गंभीरमल पांड्या के वारिशों के खिलाफ भूमाफिया के तहत कार्रवाई की जा रही है। इन तीनों विक्रेताओं से जमीन, प्लॉट खरीदने वाले भी फंस गए हैं।

करीब 18 खसरों में राजस्व टीम ने 139 निर्माण चिह्नित किए हैं। इनमें तीन पेट्रोल पंप, दो मैरिज होम, एक बैंक, तीन कॉम्पलेक्स, तीन अपार्टमेंट और 60 से अधिक दुकानें व गोदाम शामिल हैं। बैनामे शून्य होने के बाद अब इन बैनामों के आधार पर हुए निर्माण भी ध्वस्त होंगे। इस संबंध में डीएम प्रभु एन सिंह के आदेश पर एडीएम प्रशासन निधि श्रीवास्तव और संबंधित विभाग कब्जेदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रस्ताव तैयार करा रही हैं। 
 
*सरकारी जमीनों पर हुआ निर्माण*

जोंस मिल में 100 बीघा जमीन राजस्व रिकार्ड में मिली है। इसमें आठ एकड़ से अधिक नजूल व राजकीय संपत्ति है। जांच टीम की रिपोर्ट के मुताबिक भूमाफिया ने जोंस मिल में पट्टे की जमीन के साथ सरकारी जमीन भी बेच दी। जो निर्माण हुए उनके सरकारी भूमि पर होने की आशंका है। ऐसे में एक तरफ इन निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई होगी दूसरी तरफ प्रशासन सरकारी संपत्तियों को पुराने स्वरूप में वापस लाने के लिए कवायद करेगा।

*जोंस मिल मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद मची खलबली*

 जोंस मिल कंपाउंड में जमीन खुर्दबुर्द करने के मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद खलबली मच गई है। जांच कमेटी ने जमीन बेचने और खरीदने वाले 146 लोग चिह्नित किए थे। अभी ये भी जांच और मुकदमे के दायरे में आ सकते हैं।

थाना छत्ता में लेखपाल सजल कुमार कुलश्रेष्ठ ने मुकदमा दर्ज कराया है। इसमें सरदार कंवलदीप सिंह, मातंगी बिल्डर्स के मालिक हेमेंद्र अग्रवाल उर्फ चुनमुन और रज्जो जैन को नामजद किया गया है। मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि जोंस मिल की संपत्ति हाईकोर्ट की अनुमति के बिना खरीदी और बेची नहीं जा सकती थी। राज्य सरकार ने इस संबंध में नवंबर 1949 में एक नोटिफिकेशन जारी किया था। जमीनों के सौदे हाईकोर्ट और राज्य सरकार की अवेहलना करते हुए किए गए हैं। इस संबंध में डीएम प्रभु एन सिंह ने आठ सदस्यीय जांच कमेटी बनाई थी। सूत्रों का कहना है कि जांच रिपोर्ट में 146 लोंगों के नाम हैं। इसलिए अभी और मुकदमे दर्ज होंगे।

*बैनामों पर है रोक*

सात माह में जोंस मिल के 23 खसरों में बैनामों पर रोक है। यह बैनामे उप निबंधक पंचम कार्यालय में होते हैं।

*ये है जांच रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु*

- सरकारी जमीन की देखभाल ठीक तरीके से नहीं की गई।

- जोंस मिल की करोड़ों रुपये की मशीनरी को चोरी छिपे बेचा गया।

- यमुना नदी के डूब क्षेत्र की जमीन पर दुकानें और मकान बन गए।

- 35 ट्रांसपोर्ट इकाइयों के गोदाम संचालित हैं। इनके पास जमीन का कोई दस्तावेज नहीं है।

- जीवनी मंडी पुलिस चौकी की जमीन सरकारी है।

- जोंस मिल में 200 दुकानें और एक हजार मकान जमीन पर कब्जा कर बनाए गए हैं।

- जोंस मिल की जमीन पर रिफ्यूजी कालोनी है।

- तहसील सदर के अफसरों ने जमीनों का पट्टा कई अपात्रों को कर दिया।

- सरकारी जमीन पर कई मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनी हैं।

- प्रशासन के पास दो दर्जन लोगों ने दस्तावेज प्रस्तुत किए लेकिन यह मालिकाना हक को साबित नहीं कर सके।

*ये रहे जांच में शामिल*
 
एडीएम प्रशासन निधि श्रीवास्तव, एसडीएम सदर एम अरुन्मोली, एसीएम विनोद जोशी, एडीजीसी सूरज कुमार, तहसीलदार प्रेमपाल सिंह, उपनिबंधक पंचम अशोक कुमार, राजस्व निरीक्षक ललित नारायण और नरेंद्र कुमार।

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने