*5300 महिला समूहों केेे मिलेंगे 27 करोड़ की सौगात*
गोंडा। नए वित्तीय साल में जिले में आजीविका मिशन की समूहों को तरक्की के लिए बड़े स्तर पर बजट मिलेंगे। 3300 महिला समूहों को चार करोड़ 95 लाख का बजट मिलेगा। वहीं 2000 समूहों को 22 करोड़ का बजट मिल सकेगा।
इससे करीब 53 हजार महिलाओं को एक साथ रोजगार हासिल हो सकेगा। जिले के 16 ब्लाकों को इंसेंटिव ब्लॉक के रूप में घोषित कर दिया गया है और हर ब्लाक में तीन-तीन कर्मियों की तैनाती भी कर दी गई है। एक साल में चार हजार नए समूह भी बनाए जाएंगे।
ग्रामीण आजीविका मिशन से अभी तक 8 ब्लाकों के समूहों को ही फंड मिल पा रहा था। ऐसे में पूरे जिले के समूहों को रोजगार के अवसर नहीं मिल पा रहे थे। वित्तीय वर्ष 2021- 22 में सभी 16 ब्लाकों को इंसेंटिव ब्लाक घोषित कर दिया गया है। यही नहीं 38 नए कर्मियों की तैनाती भी कर दी गई है।
अब ब्लाकों के समूहों को सपोर्ट करने के लिए कर्मी जुटेंगे। जिले के 3300 समूहों को रिवाल्विंग फंड के रूप में 15-15 हजार का भुगतान किया जाएगा। इस पर चार करोड़ 95 लाख का बजट मिलेगा। इसी तरह 2000 महिला समूहों कों एक लाख दस हजार का बजट मिलेगा। इसके लिए 22 करोड़ का बजट शासन ने स्वीकृत किया है। इससे समूहों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
ग्रामीण आजीविका मिशन में बड़े पैमाने पर फंड दिए जाने से महिलाओं को बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर मिल सकेंगे। करीब 53 हजार महिलाओं को सीधे रोजगार करने के लिए फंड की सुविधा मिलेगी।
जो अपना कार्य शुरू करके आत्मनिर्भर बन सकेंगी। बताया जा रहा है कि समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित भी किया जाएगा, जिससे वह अपने पसंद और स्थानीय मांग के अनुुरूप कार्य शुरू कर सकेंगे। पहले से 5 हजार से अधिक महिलाएं विभिन्न रोजगार परक कार्यों से जुड़ीं हैं।
महिला समूहों को रोजगार के लिए कई तरह की योजनाओं से जोड़ा जा रहा है। परिषदीय स्कूलों के पौने चार लाख बच्चों को ड्रेस देने के साथ ही गांवों में चलने वाले पौधरोपण अभियान से महिलाएं रोजगार पा सकेंगी। नर्सरी स्थापना करके रोजगार की दिशा में कदम बढ़ा सकती हैं।
पहले भी कई समूहों की ओर से यह कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा मनरेगा व विकास योजनाओं में भी शिलापट बनाने का काम करेंगी। खिलौने, लकड़ी के सामान, अचार मुरब्बा, सिलाई कढ़ाई, एलईडी बल्व, मसाला आदि कई रोजगार परक योजनाओं से जोड़ने में सहूलियत मिलेगी।
गांवों में बिजली के बिल जमा कराने के साथ ही राशन की दुुकानों का संचालन भी समूहों को दिया जा रहा है। 3095 आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार वितरण का कार्य भी समूहों के माध्यम से ही हो रहा है। ऐसे में स्थानीय स्तर पर रोजगार की कमी नहीं है।
गोंडा से अरविंद पांडे की रिपोर्ट
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