मथुरा ||बाँकेबिहारी जी दिन में 2 पोशाक पहनते हैं और उसके नीचे जामा धारण करते हैं। हम यदि एक कपड़ा भी पहनते हैं तो हमें भी पसीना आने लगता है और रात को पट बन्द होने के बाद जब बिहारी जी की पौशाक उतारी जाती है तो आज तक बिहारी जी का जामा पसीने से गीला हुआ ही मिलता है।
जब बिहारी जी को विश्राम करवाया जाता है तो नियम है कि बिहारी जी की इत्र से मालिश होती है जैसे एक मनुष्य के अंग दबाते हैं वैसे ही आज तक बिहारी जी के अंग भी दबाते हैं और ऐसा हो भी क्यूँ ना?
वृंदावन में जो बाँकेबिहारी जी का श्रीविग्रह है वो किसी मूर्तिकार ने नहीं बनाया। आज से लगभग 500 साल पहले स्वामी श्री हरिदास जी के भजन के प्रभाव से श्री बाँके बिहारी जी वृंदावन में श्री निधिवनराज में प्रकट हुए उन्हीं बिहारी जी को आज हम वृंदावन में देखते हैं।
🌷जय श्री कृष्ण
🌷राधे राधे🌷
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know