अंबेडकरनगर। नियम-कानून को ताक पर रखकर जिला पंचायत में 23 करोड़ रुपये के टेंडर कर दिए गए। चहेतों को काम दिलाने के लिए अनिवार्य रूप से होने वाली ई-टेंडरिंग नहीं कराई गई। चंद खास ठेकेदारों को काम का आवंटन करने के साथ ही न सिर्फ कई जगह तेजी से काम पूरा कराया गया, वरन कुछ ठेकेदारों को आननफानन में भुगतान भी कर दिया गया। ऐसे में पूरा खेल आसानी से समझा जा सकता है कि अनुचित लाभ के लिए किस तरह जिला पंचायत में नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं और धन का बंदरबांट किया गया।
विभिन्न विकास कार्यों की जिम्मेदारी संभालने वाले जिला पंचायत पर यूं तो अरसे से कई तरह की मनमानी एवं गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन बीते दिनों बड़ी अनियमितता किए जाने का मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार जिला पंचायत में बीते दिनों लगभग 23 करोड़ रुपये के कार्यों से जुड़े टेंडर मनमाने ढंग से कर दिए गए। नियम यह है कि सभी प्रमुख कार्यों के लिए ई-टेंडरिंग कराई जाए। ऐसा इसलिए, जिससे कोई भी अधिकृत फर्म व ठेकेदार संबंधित कार्यों के लिए निविदा डाल सके। इसके बावजूद जिला पंचायत में शासन की ओर से तय इस अनिवार्य दिशा निर्देश व मानक का पालन करना नहीं समझा गया।नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए बीते वर्ष के अंतिम दौर में ऑफलाइन टेंडर आमंत्रित कर लिए। इसमें 14 करोड़ रुपये की लागत से कुल 165 कार्य शामिल थे। पुलिया, लेपन, सोलिंग, सीसी रोड, नाली व सुलभ शौचालय आदि कार्य इसमें शामिल किए गए। इस टेंडर के आसपास ही नौ करोड़ रुपसे के अन्य टेंडर भी ऑफलाइन आमंत्रित कर लिए गए। इसमें पिच रोड की विशेष मरम्मत के कुल 86 कार्य शामिल किए गए। इन कार्यों के लिए ई-टेंडरिंग न कराए जाने का खामियाजा यह हुआ कि एक तरफ जहां शासन के निर्देशों की धज्जियां उड़ीं, वहीं तमाम पात्र ठेकेदार व फर्म कार्यों के लिए निविदा डालने से वंचित रह गईं।
खास ठेकेदारों को मिला लाभ
सूत्रों के अनुसार लगभग 23 करोड़ रुपये के कार्यों की ई-टेंडरिंग न कराए जाने के पीछे चंद खास ठेकेदारों को ही कार्यों का लाभ दिलाया जाना उद्देश्य था। ऐसा करने के साथ ही धन की बंदरबांट करने आदि का भी मकसद शामिल रहा। ई-टेंडरिंग न कराने का फायदा इन चंद ठेकेदारों ने उठाया। उन्होंने तमाम कार्य आननफानन में करा भी डाले। इनमें से कई कार्य मानकविहीन भी कराए गए, लेकिन निर्माण में मानक का ध्यान देने की बजाय पूरा जोर जल्द से जल्द भुगतान पर था। इसी के चलते कई कार्यों के लिए भुगतान भी निर्माण के साथ ही आननफानन में हो गया।
10 लाख रुपये तक का है विशेषाधिकार
एक तरफ जहां सभी तरह के कार्यों के लिए ई-टेंडरिंग अनिवार्य है, वहीं यह व्यवस्था भी है कि विशेष परिस्थितियों में जिला पंचायत 10 लाख रुपये तक के कार्यों का ऑफलाइन टेंडर करा सकती है। इसमें भी शर्त यह है कि ऐसी कोई विशेष परिस्थिति निर्माण के लिए उत्पन्न हो, जिसमें ई-टेंडरिंग कराकर निविदा आमंत्रित करने का समय न हो। अब यहां जिस तरह जिला पंचायत में 23 करोड़ रुपए के कार्य बिना ई-टेंडर के करा डाले तो उसमें कोई भी विशेष परिस्थिति नहीं थी।दिखवाया जाएगा मामला बीते दिनों ही मैंने बतौर प्रशासक कार्यभार संभाला है। चार्ज लेने के साथ ही मैंने वहां कई तरह से सुधार तत्परतापूर्वक सुनिश्चित कराए हैं। यह मामला अब संज्ञान में आया है। इसे दिखवाया जाएगा। शासन के निर्देश का कोई भी उल्लंघन या अनियमितता मिली तो उसके अनुरूप कार्रवाई की जाएगी।
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