NCR News:वैट और जीएसटी विभाग के छह डाटा एंट्री ऑपरेटरों ने ही रिफंड स्कैम कर 200 करोड़ से अधिक की ठगी कर डाली। इन्होंने इसके लिए दूसरे लोगों के आधार और पैन नंबरों का इस्तेमाल किया। फर्जी कंपनियां बनाकर 940 करोड़ का फर्जी लेन-देन भी दिखाया।शिकायत पर जांच के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की साइबर क्राइम यूनिट ने शैलेश कुमार (29), संदीप सिंह नेगी (30), विवेक कुमार (42), हरीश चंद गिरीश (45), गौरव रावत (33) और मनोज कुमार (41) को गिरफ्तार कर लिया। 227 फर्जी कंपनियों का पता चला है। 340 की जांच चल रही है।साइबर सेल के पुलिस उपायुक्त अन्येश रॉय ने बताया कि विभाग के ही कर्मचारी होने के कारण इन आरोपियों को कार्यप्रणाली की खामियों की जानकारी थी। इन्होंने फर्जी कंपनियां बनाकर लेन-देन दिखाया और जीएसटी विभाग से करीब दो सौ करोड़ रुपये रिफंड के नाम पर ले लिए। इस मामले के खुलासे के बाद आरोपियों के 25 बैंक खाते सीज किए गए हैं। इनमें से 10 में ही 48 लाख रुपये हैं।पिछले दिनों साइबर को दी शिकायत में एक कारोबारी ने कहा था कि उनके पैन और आधार नंबर पर किसी ने तीन फर्जी कंपनियां बनाकर जीएसटी नंबर लिया हुआ है। इन तीनों कंपनियों ने 119 करोड़ का लेनदेन किया था और सभी में टैक्स चोरी हुई थी।एसीपी रमन लांबा, इंस्पेक्टर कुलदीप शर्मा, संजीव सोलंकी, अरुण त्यागी की टीम ने जांच में पाया कि मनीष ट्रेडिंग कंपनी, गैलेक्सी इंटरनेशनल और एबीएम इंटरप्राइजेज से 81 कंपनियों ने लेनदेन किया था। तीनों फर्जी कंपनियों के ईमेल एड्रेस और फोन नंबर की जांच से पता चला कि ये सब एक ही हैं। इसी नंबर और ईमेल एड्रेस से 227 और फर्जी कंपनियों के रजिस्टर्ड होने का पता चला।जांच के बाद पुलिस ने सबसे पहले जीएसटी विभाग के डाटा एंट्री ऑपरेटर शैलेश कुमार को दबोचा। उससे पूछताछ के बाद एक-एक कर पांच और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। फर्जीवाड़े का मास्टर माइंड गौरव रावत है। इनसे पूछताछ में पता चला कि सभी 940 करोड़ से अधिक का फर्जी लेनदेन कर चुके हैं। अकेले गौरव ने 12 फर्जी कंपनियां रजिस्टर्ड करा रखी हैं।940 करोड़ का लेनदेन दिखा ये लोग 200 करोड़ से अधिक की रकम रिफंड ले चुके हैं। ये फर्जी बिलों के आधार पर एक से दूसरी कंपनी को माल बेचा दिखाकर टैक्स चोरी करते थे। इसके अलावा, फर्जी कंपनियों में इन बिलों के आधार पर निवेश दिखाकर जीएसटी विभाग से मोटा रिफंड ले लेते थे।
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