सीतापुर : कोरोना  के चलते  जापानी इंसेफेलाइटिस ( जेई ) से बचाव की वैक्सीन से वंचित बच्चों के लिए स्वास्थ्य विभाग सीतापुर सहित सूबे के 38 जिलों में आगामी 14 फरवरी से टीकाकरण अभियान शुरू करने जा रहा है । इस संबंध में  महानिदेशक – परिवार कल्याण डॉ. राकेश दुबे ने एक पत्र के माध्यम से सम्बंधित जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। इस क्रम में 11 फरवरी तक ड्यू लिस्ट तैयार करने के बाद 12 और 13 फरवरी को माइक्रो प्लान तैयार कर स्टेट कार्यालय को भेजा जाएगा। प्रदेश के 38 जिलों में शुरू हो रहे इस टीकाकरण अभियान के तहत करीब 1.12 करोड़ बच्चों को टीका लगाया जाना है। इनमें से 23,510 बच्चे सीतापुर जिले के हैं। कार्यक्रम के नोडल अधिकारी  और उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. डीके सिंह का कहना है कि जेई  बीमारी एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से नहीं होती है। वह बताते हैं  कि फ्लेवि वायरस जब मच्छर में पहुंच जाता है और ऐसा मच्छर जब मानव को काटता है तो यह मानव को संक्रमित कर देता है। इस बीमारी में दिमाग में सूजन आ जाती है, और समय पर उचित इलाज न मिलने पर मरीज की जान भी जा सकती है। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण इस बीमारी का प्रकोप बच्चों में अधिक होता है। वह बताते हैं कि धान की रोपाई के समय खेतों में भरे पानी में इस तरह के मच्छर तेजी से पनपते हैं। उस दौरान इस बीमारी का प्रकोप भी तेजी से फैलता है। इस बीमारी में तेज बुखार, सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, घबराहट, दौरे पड़ना और बेहोशी जैसे लक्षण होते हैं। उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत छूटे हुए बच्चों को टीका लगवाया जाएगा। उन्होंने लोगों से अपील की है कि अगर उनके किसी पाल्य को जेई का टीका नहीं लगा है तो वह अपने क्षेत्र की एएनएम या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क कर टीका लगवा सकते हैं।
इन जिलों में चलेगा अभियान ---

जेई टीकाकरण अभियान सीतापुर सहित लखनऊ, देवरिया, महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, बस्ती, बरेली, पीलीभीत, शहजहांपुर, हरदोई, लखीमपुर, आजमगढ़, बलिया, मऊ, रायबरेली, बहराइच, उन्नाव, बलरामपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, गोंडा, अंबेडकर नगर, सहारनपुर, प्रयागराज , फतेहपुर, सुल्तानपुर, अमेठी, प्रतापगढ़, बाराबंकी, फैजाबाद, श्रावस्ती, कानपुर देहात, कानपुर नगर, सिद्धार्थनगर, सतंकबीर नगर, जौनपुर और गाजीपुर जिलों में चलेगा।
इस उम्र में लगता है जेई का टीका ---
– नौ से बारह माह
– 16 से 24 माह
– दो से 15 साल तक ( छूटे हुए बच्चों को

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