*13 ब्लाक दबाए हैं आंगनबाडी केंद्रों के 35.22 लाख के बजट का हिसाब*


गोंडा। बाल विकास विभाग के 181 आंगनबाड़ी केंद्रों में शौचालय और पेयजल की व्यवस्था नहीं थी। इसके लिए दिए गए 35 लाख 22 हजार के बजट का हिसाब ही नहीं मिल रहा है।



शासन स्तर से भी खर्च का ब्यौरा न दिए जाने पर नाराजगी जताई है। जिलाधिकारी मार्कंडेय शाही ने बजट के खर्च की स्थिति पर पूरी रिपोर्ट विभाग से तलब की है। जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार ने 13 ब्लाकों के खंड विकास अधिकारियों से खर्च का ब्यौरा मांगा है।


जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों पर शौचालय व पेयजल की व्यवस्था न होने पर वर्ष 2020 में ही माह फरवरी में बजट दिया गया था। ग्राम पंचायतों को ही कार्यदाई संस्था नामित कर कार्य कराए जाने की व्यवस्था बनी थी। एक साल बीतने के बाद भी दिए गए बजट के खर्च का हिसाब नही मिल रहा है।
अब तो पंचायतों में प्रधानों का अस्तित्व ही समाप्त है और प्रशासक राज कायम है। ऐसे में कार्यों की रिपोर्ट न मिलने के कारण बजट में गोलमाल की आशंका बढ़ गई है। फिलहाल जिलाधिकारी के कड़े तेवर के बाद एक बार रिपोर्ट तैयार कराए जाने की कार्रवाई तेज हो गई है।
सबसे अहम बात तो यह है कि कई केंद्रों पर कार्य पूरे ही नही हुए हैं। रिपोर्ट मिलने पर ही इसकी स्थिति भी स्पष्ट हो सकेगी। जारी किए गए बजट में 135 केंद्रों पर पेयजल की व्यवस्था के लिए 13 लाख 50 हजार और 181 केंद्रों पर शौचालय निर्माण के लिए 21 लाख 72 हजार का बजट दिया गया था। इसमें पेयजल के चयनित प्रत्येक केंद्र के लिए 10 हजार की दर से और शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार की दर से बजट आवंटित हुआ था। अब इसके हिसाब न मिलने से विभाग में खलबली है।

एक साल से दो परियोजनाओं के बजट देने के बाद हिसाब न मिलने से कई तरह की आशंकाए हो रही हैं। माना जा रहा है कि अब पंचायतों में प्रधान का कार्यकाल पूरा हो चुका है। ऐसे में घपले की आशंका भी बढ़ रही है। विभाग की ओर से भी कई बार नाराजगी जताई जा चुकी है।
इसके बाद भी बजट के व्यय का हिसाब न दिए जाने से विभाग में आशंका जताई जा रही है। अब जिलाधिकारी की ओर से कार्रवाईयां शुरू किए जाने के बाद हिसाब तैयार किया जा रहा है।


गोंडा से अरविंद पांडे की रिपोर्ट

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