विंध्याचल। कस्बा के मोतीझील के पास गंगा नदी के किनारे 12वीं शताब्दी की भगवान शिव की खंडित मूर्ति मिली है। पुरातत्व विभाग ने भेजी गई फोटो के आधार पर बताया है कि यह मूर्ति 12वीं शताब्दी की है। हालांकि जांच के बाद ही इसकी पुष्टी होगी। इसकी जानकारी प्रशासन को दे दी गई है।
बुधवार की सुबह मोती झील निवासी मुरली निषाद प्रतिदिन की तरह गंगा घाट की ओर गए थे। वहीं पर मूर्ति दिखाई दी। बडे़ आकार की मूर्ति में भगवान शिव ध्यान मुद्रा में बैठे हुए हैं। लेकिन मूर्ति का क्षतिग्रस्त है। मुख टूटा हुुआ मिला है। प्राचीनकालीन मूर्ति मिलने की बात पता चलते ही मौके पर स्थानीय लोगों की भीड़ जुट गई। भीड़ में से ही किसी ने बीएचयू के पुरातत्व वेत्ता सुभाष यादव को फोन कर उनको फोटो भेजी। संभावना जतायी कि मूर्ति 11-12वीं सदी की हो सकती है। ऐसा नहीं है कि ऐसी मूर्ति पहली बार इस क्षेत्र में मिली है। मां विंध्यवासिनी माता की नगरी में सदियों पुरानी खंडित मूर्तियों कई बार मिली हैं। भगवान शिव की जो मूर्ति मिली है वह ध्यान मुद्रा में बैठे हुए है। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि यह मूर्ति खंडित हो चुकी है।
बुधवार की सुबह मोती झील निवासी मुरली निषाद प्रतिदिन की तरह गंगा घाट की ओर गए थे। वहीं पर मूर्ति दिखाई दी। बडे़ आकार की मूर्ति में भगवान शिव ध्यान मुद्रा में बैठे हुए हैं। लेकिन मूर्ति का क्षतिग्रस्त है। मुख टूटा हुुआ मिला है। प्राचीनकालीन मूर्ति मिलने की बात पता चलते ही मौके पर स्थानीय लोगों की भीड़ जुट गई। भीड़ में से ही किसी ने बीएचयू के पुरातत्व वेत्ता सुभाष यादव को फोन कर उनको फोटो भेजी। संभावना जतायी कि मूर्ति 11-12वीं सदी की हो सकती है। ऐसा नहीं है कि ऐसी मूर्ति पहली बार इस क्षेत्र में मिली है। मां विंध्यवासिनी माता की नगरी में सदियों पुरानी खंडित मूर्तियों कई बार मिली हैं। भगवान शिव की जो मूर्ति मिली है वह ध्यान मुद्रा में बैठे हुए है। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि यह मूर्ति खंडित हो चुकी है।
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