अम्बेडकर नगर। बेसिक शिक्षा विभाग में विभागीय कर्मचारियों की जुगलबन्दी से बिना पद के वेतन भुगतान किये जाने का मामला सामने आया है। हालांकि प्रकरण संज्ञान में आने के बाद बीएसए ने बिना पद के हो रहे वेतन भुगतान पर रोक तो लगा दी है लेकिन अब तक सरकारी खजाने को जो चूना लगाया गया उसका जिम्मेदार कौन होगा। देखना यह है कि क्या अधिकारी इस खेल के लिए जिम्मेदार कर्मचारियों को चिन्हित कर उन पर कार्यवाही कर सकेंगे। उल्लेखनीय है कि बेसिक शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी हैं। भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में विभाग के ही कुछ कर्मचारियों की भूमिका समय -समय पर सामने आती रही है लेकिन उन पर कभी भी विभागीय कार्यवाही नही हुई जिससे उनके मनोबल पर कभी कोई प्रभाव नही पड़ा। मामला जयराम जनता जूनियर हाईस्कूल रामनगर का है। इस उच्चीकृत विद्यालय में पारसनाथ गुप्ता पर प्रधानाध्यापक पद का अनियमित रूप से वेतन प्राप्त करने का आरोप लगा है। जानकारी के अनुसार सम्बन्धित विद्यालय के प्रबन्धक ने पारसनाथ गुप्ता को प्रधानाध्यापक पद पर चयनित किया था। तत्कालीन बीएसए राकेश कुमार ने 15 मई 2010 को प्रबन्धक द्वारा किये गये चयन को निरस्त कर दिया था। अपने आदेश में उन्होंने लिखा था कि उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्ड पीठ द्वारा जारी किये गये निर्देश के अनुसार जू0 हाईस्कूल को उच्चीकृत किये जाने के पश्चात प्रश्नगत जू0 हाईस्कूल में प्रधानाध्यापक का पद अकार्यशील हो जाता है एवं इसे भरा नही जा सकता है। बीएसए के इस आदेश के बाद पारसनाथ गुप्ता को सहायक अध्यापक के रूप में वेतन का भुगतान किया जाता रहा लेकिन राकेश कुमार के स्थानान्तरण के बाद पुनः उसी पत्रावली पर पारसनाथ गुप्ता को प्रधानाध्यापक पद का वेतनमान दिया जाने लगा। शिकायतकर्ता राजेन्द्र यादव ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं वित्त एवं लेखाधिकारी से शिकायत कर कार्यवाही की मांग की जिस पर सम्बन्धित प्रधानाध्यापक का वेतन भुगतान रोक दिया गया है।
दस साल तक बिना पद के ही किया जाता रहा भुगतान प्रकरण जयराम जनता जू0 हाई0 स्कूल रामनगर का
विकाश कुमार निषाद हिंदी संवाद ब्यूरो चीफ अम्बेडकर नगर
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