हाथरस के गांव बूलगढ़ी की युवती के साथ बीती सिंतबर माह में हैवानियत और बाद में उसकी मौत का मामला जब देश-दुनिया में गूंज रहा था, उस समय डीएम हाथरस भी पूरी सुर्खियां बटोर रहे थे। इस कांड में पुलिस-प्रशासन की भूमिका को लेकर हाईकोर्ट, राजनीतिक दल और पीड़िता के परिजनों के सवालों के बावजूद सरकार डीएम हाथरस के पीछे चट्टान की तरह खड़ी रही। बीती 18 दिसंबर को सीबीआई के इस मामले की चार्जशीट दाखिल करने के बाद सरकार ने साल के आखिरी दिन प्रवीण लक्षकार को हाथरस से हटाकर जिला मिर्जापुर का डीएम बनाया।
हाथरस के चंदपा कोतवाली क्षेत्र के गांव में युवती के साथ गैंगरेप और बाद में उसकी मौत के मसला देश में राजनीतिक तूफान बन गया। दिल्ली के अस्पताल में युवती की मौत के बाद रातों-रात उसका शव परिजनों से पूछे बगैर जलाने के मामले ने आग में घी का काम किया। मीडिया, सोशल मीडिया और राजनीतिक दलों ने इस खासा मुद्दा बनाया। युवती के साथ हैवानियत और बाद में उसका अंतिम संस्कार सरकार और प्रशासन की गले की फांस बन गया।
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