प्रयागराज के लोगों के लिए चंद्रशेखर आजाद पार्क संजीवनी बन गया है। पेड़ पौधों से आच्छादित 133 एकड़ में फैले इस पार्क में सुबह शाम सैर करने वालों की भीड़ रहती है। दिन भर इस पार्क में चहल पहल बनी रहती है। दूर से आने वाले पर्यटकों के लिए भी चंद्रशेखर आजाद की शहादत स्थली दर्शनीय है। पार्क के अंदर स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय, पब्लिक लाइब्रेरी में लोगों की आवाजाही हर दिन बनी रहती है। शहर की लाइफ लाइन माना जाना जाने वाला चंद्रशेखर आजाद पार्क की जगह कभी सम्दाबाद एवं छीतपुर नाम के दो गांव हुआ करते थे। पार्क के दक्षिणीय भाग में सम्दाबाद के नाम से मेवातियों का गांव था। सन 1857 के गदर में इस गांव के लोगों ने विद्रोह किया था। इस पर अंग्रेजों ने इस गांव को उजाड़ दिया था

छीतपुर को भी अंग्रेजों ने कर दिया था तबाह

करीब ही एक अन्य गांव छीतपुर था। यहां भी विद्रोह की आग सुलगी थी। इसे भी अंग्रेजों ने तबाह कर दिया था। इस गांव का कुछ हिस्सा गवर्नमेंट हाउस और कुछ आजाद पार्क में आ गया था। इस पार्क को पहले अल्फ्रेड पार्क कहा जाता था। बाद में क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के नाम पर इसका नाम रख दिया गया। ऐसा माना जाता है कि यह उत्तर प्रदेश के सबसे विशालतम पार्क में एक है। यह पार्क भारतीय इतिहास की कई युगांतकारी घटनाओं का गवाह रहा है।

ईस्ट इंडिया कंपनी ने दिया था पार्क का स्वरूप

आजाद पार्क के राष्ट्रीय संग्रहालय में शोध अधिकारी डा.राजेश कुमार मिश्र बताते हैं कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने सम्दाबाद एवं छीतपुर गांव को पार्क का स्वरूप दिया था। इसलिए शुरूआत में इस पार्क को लोग कंपनी बाग कहते थे। तब इस पार्क में सिर्फ अंग्रेज सैर करते थे। अंग्रेजों ने 1870 में इंग्लैंड के प्रिंस अल्फ्रेड डयूक ऑफ एडिनबरा के प्रयागराज आगमन को यादगार बनाने के लिए इस पार्क को बनाया गया था। पार्क के अंदर राजा जार्ज पंचम और महारानी विक्टोरिया की बड़ी प्रतिमा भी लगाई गई थी। महारानी विक्टोरिया की प्रतिमा पर सफेद रंग के मार्बल की छतरी बनी हुई है। तब पार्क में अष्कोणीय बैंड स्टैंड बनाया गया था। यहां अंग्रेज सेना का बैंड बजाया जाता था। 24 मार्च 1906 में इस जेम्स लाटूश ने बनाया था।  इसे 1957 में हटा दिया गया था।

1931 में स्थापित हुआ था राष्ट्रीय संग्रहालय
डॉ. मिश्र बताते हैं कि आजाद पार्क के अंदर 1931 में इलाहाबाद महापालिका ने एक संग्रहालय स्थापित कराया था। इस संग्रहालय को 1948 में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अपनी काफी वस्तुएं भेंट की थी। पार्क में जीवंत गॉथिक शैली में बनी इलाहाबाद पब्लिक लाइब्रेरी भी है। जिसमें ब्रिटिश युग के महत्वपूर्ण संसदीय कागजात रखे हुए हैं। पब्लिक लाइब्रेरी की स्थापना उत्तर-पश्चिमी समीवर्ती प्रांत की सरकारों ने की थी। अब यह लाइब्रेरी थॉर्नहिल मेन मेमोरियल भवन में स्थापित है। यह लाइब्रेरी सीबी थॉर्नहिल एवं एफओ मेन की स्मृति में बनायी गई थी। यह दोनों ही विद्वान एवं परम मित्र थे। लाइब्रेरी में हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, अरबी, फारसी, बंगला समेत विदेशी भाषाओं में पढऩे योग्य सामग्री उपलब्ध है।

चंद्रशेखर आजाद हुए थे शहीद
इतिहासकार प्रो.अविनाश चंद्र मिश्र बताते हैं कि महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने 1931 में इस पार्क में अंग्रेज पुलिस से मुठभेड़ के दौरान शहादत पाई थी। तब के अल्फ्रेड पार्क में आजाद ने रूस की बोल्शेविक क्रांति की तर्ज पर समाजवादी क्रांति का आहवान किया था। आजाद ने भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव व अन्य क्रांतिकारियों के साथ देश की आजादी के लिए संगठित प्रयास शुरू किया था। आजाद की शहादत के बाद इस पार्क का नाम अल्फ्रेड पार्क से बदलकर चंद्रशेखर आजाद पार्क कर दिया गया। जहां आजाद ने शहादत थी उस स्थल पर उनकी एक विशालकाय प्रतिमा स्थापित है। यहां श्रद्धा समुन अर्पित करने देश भर से लोग आते हैं। पिछले दिनों देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविद एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यहां आ चुके हैं।

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