तीर्थराज प्रयाग की देश-दुनिया में जितनी पहचान तीन नदियों के संगम, साहित्यिक, धार्मिक और राजनीतिक वजहों से हैं उतना ही यहां उत्पादित होने वाले अमरूद की खास किस्में सुर्खा, सफेदा के कारण है। पिछले कई सालों से इलाहाबाद अमरूद की मिठास को देश-दुनिया में पहुंचाने का बीड़ा उठाए हैं बाकराबाद गांव के इंद्रजीत पटेल। उनको सुर्खा के लिए जीआइ टैग भी मिला हुआ है।
लंबे समय से उनका परिवार कर रहा अमरूद की बागवानी
प्रयागराज जिले के पश्चिमी क्षेत्र में ग्राम बाकराबाद के रहने वाले इंद्रजीत पटेल और उनका परिवार लंबे समय से अमरूद की बागवानी से जुड़ा हुआ है। 25-30 बीघा क्षेत्रफल में अमरूद के बाग लगा रखे हैं। परिवार की आय का मूल जरिया भी अमरूद की बागवानी है जबकि कुछ क्षेत्रफल में खाने-पीने के लिए थोड़ा बहुत अनाज उगा लेते हैं।
बाकराबाद और पास के गांवों में करीब पांच सौ बीघे में हैं बाग
जिले के बमरौली इलाके और उससे सटे हुए कौशांबी जिले के दर्जनों गांवों में अमरूद का उत्पादन किया जाता है। दो-तीन किलोमीटर के दायरे में आने वाले बाकराबाद, असरौली, बमरौली, मानिकपुर, सल्लाहपुर, छबीलेपुर और चायल के कुछ गांवों में तकरीबन चार सौ से पांच सौ बीघा में अमरूद के बाग हैं जिसमें हर साल सुर्खा और सफेदा की किस्में लहलहाती हैं।
बाकराबाद और पास के गांवों में करीब पांच सौ बीघे में हैं बाग
जिले के बमरौली इलाके और उससे सटे हुए कौशांबी जिले के दर्जनों गांवों में अमरूद का उत्पादन किया जाता है। दो-तीन किलोमीटर के दायरे में आने वाले बाकराबाद, असरौली, बमरौली, मानिकपुर, सल्लाहपुर, छबीलेपुर और चायल के कुछ गांवों में तकरीबन चार सौ से पांच सौ बीघा में अमरूद के बाग हैं जिसमें हर साल सुर्खा और सफेदा की किस्में लहलहाती हैं।
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