अम्बेडकरनगर तहसील क्षेत्र के बेला परसा गांव में मरहूमा अज़ीज़ फ़ातेमा की इसाले सवाब की मजलिस को मौलाना सैय्यद इफ्तेखार मेंहदी नासिराबादी ने संबोधित करते हुए कहा कि दीनदार बनना चाहते हो तो गैरतदार बनो। अहलेबैत का चाहने वाला बेगैरत नहीं हो सकता। अगर अहलेबैत के चाहने वाले हो तो माँ बहनो को बेपर्दा बाज़ार जाने से रोको। कुल्ले ईमान वक्त का इमाम होता है। जिसके पास गैरत नहीं उसके पास ईमान नहीं। मसायब सुनकर मोमनीन रोने लगे। बानिये मजलिस ने सभी का शुक्रिया अदा किया। मौलाना ने कहा कि अगर मस्जिदे शिया सुन्नी की न होकर फकत खुदा की हो जाये ,एक दूसरे के साथ मिलकर नमाज़ पढ़े तो भाई चारा बढ़ सकता है। इखतेलाफ से बचो, इत्तेहाद कायम करो, जिसकी मिसाल ईरान है। मौलाना ने कहा मौत कुर्बे इलाही का ज़रिया है । मौत फनां का नाम नहीं बल्कि हिजरत है। इंसान की फितरत है जब एक से दूसरी जगह मुन्तकिल होता है तो रंजीदा होता है। ‘‘जब कभी खालिको मखलूक मिला करते है,जाने क्यों लोग इसे मौत कहा करते है। अंत में कर्बला वालो के मसायब पेश किये जिसे सुनकर मोमनीन रो पड़े।
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