बाराबंकी। कोरोना काल में दवाओं की आपूर्ति न होने का असर अब दिखने लगा है। कई गंभीर बीमारियों की दवाएं पिछले एक साल से अस्पतालों में नहीं है। चिकित्सक ये दवाएं मरीजों को बाहर से लिख रहे हैं वहीं मरीज भी इन दवाओं को बाहर से खरीदने के लिए मजबूर हैं। अफसरों का कहना है कि जब से दवाओं की आपूर्ति का जिम्मा कॉर्पोरेशन के हाथों में गया है तब से दवाओं का संकट बढ़ता जा रहा है। हालात इतने बदतर होते जा रहे हैं कि एक साल में इंसुलिन (मधुमेह) के 35 इंजेक्शन ही जिला अस्पताल को उपलब्ध कराए जा सके हैं।
जिला अस्पताल में मौजूदा समय में सबसे ज्यादा सर्दी, जुकाम, बुखार और सांस रोग के मरीज आ रहे हैं। बुधवार को ओपीडी में 660 मरीज आए। इनमें सबसे ज्यादा मरीज इन्हीं रोगों से संबंधित थे। जबकि जिला अस्पताल समेत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर देखा जाए तो कई गंभीर बीमारियों की दवाएं नहीं हैं। शुगर के रोगियों को दिया जाने वाला इंसुलिन इंजेक्शन तो पिछले एक साल से किसी भी अस्पताल में नहीं है। यहीं नहीं मानसिक रोग की दवाएं भी इन अस्पतालों में नहीं है। दर्द में दी जाने वाली दवा डाइक्लोफेनिक इंजेक्शन और टेबलेट की आपूर्ति भी एक साल से ज्यादा हो गया, नहीं हुई है।इसके अलावा देखा जाए तो अस्पतालों में मौजूद समय में सबसे ज्यादा मरीज सांस रोग से संबंधित आ रहे हैं लेकिन इन्हें देने के लिए इन्हेलर तक अस्पतालों में नहीं है। इन दवाओं को चिकित्सक बाहर से लिख रहे हैं। वहीं इन दवाओं को बाहर से खरीदना मरीजों की मजबूरी बनता जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि जब से कॉर्पोरेशन को दवाओं की आपूर्ति का जिम्मा सौंपा गया है तब से आवश्यक दवाओं का संकट बढ़ा है।
इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। क्योंकि पहले यदि कोई दवा नहीं होती थी तो उसकी खरीद सीएमओ स्तर से कर ली जाती थी लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। कोई भी दवा हो उसकी आपूर्ति कॉर्पोरेशन ही करेगा। सीएमएस डॉ. एसके सिंह का कहना है कि कोरोना की वजह से दवाएं कम मिली हैं जो दवाएं नहीं उसका डिमांड लगातार भेजा जा रहा है।
मजबूरी में बाहर से खरीद रहे दवाएं
जिला अस्पताल में दवा लेने आए बृजेश शुक्ला ने बताया कि जोड़ों में काफी दर्द हो रहा है। दवा लेने के लिए अस्पताल आया तो डॉक्टर ने उसे दर्द की दवा के साथ ही तीन अन्य दवाएं बाहर से लिख दी जिन्हें खरीदना मजबूरी है। लखपेडाबाग निवासी पुष्पा सिंह ने बताया कि वह शुगर की मरीज हैं और उन्हें नियमित इंसुलिन का इंजेक्शन लगता है लेकिन पिछले एक साल से इंजेक्शन नहीं मिल रहा है जिससे वह इन्हें महंगे दामों से बाहर से खरीद रही हैं।

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