मकर संक्रांति के दिन पतंगबाजों को अपनी जान की परवाह तक नहीं रही, उधर रेलवे महकमा भी निश्चिंत रहा। अंधरापुल से चौकाघाट के बीच रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों के आने-जाने के दौरान ही पतंगबाज दिन भर दौड़ते रहे। संयोग था कि कोई हादसा नहीं हुआ। इस दौरान रेलवे की ओर से सुरक्षा के कोई एहतियाती कदम नहीं उठाये गये। जबकि ट्रैक पर लोगों को दौड़ते देख ट्रेनों के लोको पायलट खुद ही गति कम कर दे रहे थे। इस दौरान कॉशन पर ट्रेनें चलाकर कैंट स्टेशन पहुंचीं, तो कैंट से भी धीमी गति से ट्रेन आगे निकलती रहीं।
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