गंगा की सफाई के लिए तीन साल तक शासन ने नगर निगम प्रशासन की मदद की लेकिन अब हाथ खड़े कर दिए हैं। गंगा की सफाई के लिए स्क्रीमर मशीन किराए पर लेने के लिए निगम ने फिर से टेंडर किया है। इस मशीन के संचालन का बोझ निगम प्रशासन को ही वहन करना पड़ेगा जो उसके लिए मुश्किल भरा है।  

किराए पर स्क्रीमर मशीन खरीदने के लिए निकाला गया फिर से ई-टेंडर

मोक्षदायिनी की तलहटी पर तैरने वाली गंदगी (फूल-माला, दोने-पत्तल, धूपबत्ती, अगरबत्ती के रैपर आदि) की सफाई के लिए शासन द्वारा वर्ष 2017 में स्क्रीमर मशीन भेजी गई थी। नमामि गंगे योजना के तहत तीन साल तक इस मशीन के संचालन का खर्च शासन ने स्वयं उठाया। लेकिन, जिस एजेंसी की मशीन सफाई के लिए लगाई गई थी, वर्ष 2019 में उससे करार खत्म हो गया। लिहाजा, मशीन वापस चली गई। निगम के पर्यावरण विभाग ने शासन से पत्राचार करके मशीन के संचालन का छह महीने विस्तार देने की मांग की थी पर एजेंसी राजी नहीं हुई। ऐसे में गंगा की सफाई का काम ठप पड़ गया था।

पांच साल इसके संचालन के लिए एजेंसी को दी जाएगी जिम्मेदारी

माघ मेले के मद्देनजर निगम ने स्क्रीमर मशीन किराए पर लेने के लिए पूर्व में ई-टेंडर निकाला था मगर, टेंडर शर्तों के मुताबिक एजेंसियों के शामिल न होने के कारण उसे निरस्त कर दिया गया था। गंगा का पानी काला होने पर अब सफाई की जरूरत महसूस होने पर फिर से ई-टेंडर निकाला गया है। गंगा की सफाई जल्द शुरू करने की जरूरत है मगर अभी इसमें कुछ महीने लगने की संभावना है। 


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