संत की उपाधि प्राप्त स्वामी विवेकानंद ने 39 साल 5 महीने और 24 दिन के अपने जीवन काल में 24 वर्ष की अवस्था में साल 1887 में पहली बार काशी के भ्रमण पर आए थे. प्राचीन दस्तावेज बताते हैं कि पहले भ्रमण के दौरान विवेकानंद गोलघर स्थित दामोदर दास की धर्मशाला में ठहरे थे. प्रवास के दौरान सिंधिया घाट पर गंगा स्नान के समय उनकी भेंट बंगाल के जागीरदार परिवार के प्रतिनिधि बाबू प्रमद दास से हुई. पहली भेंट में ही दोनों ने मुख से नहीं बल्कि नेत्रों से एक दूसरे को पहचाना और उनसे बात की.

प्रमद दास के अनुरोध पर स्वामी विवेकानंद ने उनके शिवपुर जो कि अब एलटी कॉलेज के रूप में विख्यात है आवास पर मनोरम बगीचा गोपाल लाल विला मैं अपना अस्थाई ठिकाना बनाया.

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