त्रिवेणी मार्ग पांटून पुल नंबर दो के बीच में कल-कल बहती हुईं गंगा। जल का प्रवाह और रंग ठीक वैसा ही जैसा हम बरसों से देखते आ रहे हैं।

संगम नोज पर डीप वाटर बैरिकेडिंग के भीतर जल का रंग काला और प्रवाह स्थिर। देखने वालों को यही लगेगा कि गंगा जल का रंग काला है।

दोनों दृश्य सिर्फ यही बता रहे हैं कि गंगा जल के रंग में अंतर प्रवाह के कारण है। दरअसल कुम्भ मेले के दौरान प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने गंगा में छह किमी. दायरे में डीप वाटर बैरिकेडिंग करा दी। इस बैरिकेडिंग से तट के करीब दृश्य अच्छा लगता है, साथ ही अंदर तक पानी में एक चादर सी होती है। जिससे किसी के दूसरी ओर बह जाने का खतरा नहीं रहता। आम जनमानस की सुरक्षा के लिए इसे लगाया गया, लेकिन जिस दायरे में यह डीप वाटर बैरिकेडिंग है, उसके दूसरे छोर पर जल का रंग एकदम अलग है। क्योंकि वहां प्रवाह बाधित नहीं है।

गंगा में कुछ स्थान ऐसे हैं जहां पर जल हमेशा काला ही मिलेगा। जैसे एसटीपी के आसपास। एसटीपी के बगल में नाले का पानी शोधित जरूर होता है लेकिन इसका रंग बहुत नहीं बदलता। अगर नागवासुकि मंदिर और एसटीपी के बीच में जल का रंग देखा जाए तो सालभर यहां जल का रंग काला ही दिखाई देगा। ऐसे ही डीप वाटर बैरिकेडिंग के अंदर भी जल का प्रवाह रुक जाता है। इसमें दिन में 25 से 30 हजार लोग स्नान करने आते हैं। इस कारण रंग काला ही दिखाई देगा।

यह हो सकता है समाधान

बैरिकेडिंग अगर हर रात खोली जाए और सुबह फिर लगाई जाए तो गंगा का जल साफ दिखाई देगा, लेकिन यह व्यवस्था आसान नहीं है। इसमें बहुत समय लगेगा। ऐसे में अफसरों का कहना है कि सप्ताह में कम से कम एक बार इसे जरूर खोला जाए। जिससे तलहटी साफ हो जाए।

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने