*आपकेप्रियदैवज्ञ पंडितविनोदशर्माकुश द्वाराजाने यज्ञ कुंड 🔥 कितने प्रकार के होते हैं ?*
https://youtu.be/Eu-yrjZbsHE
यज्ञ कुंड मुख्यत: आठ प्रकार के होते हैं और सभी  का प्रयोजन अलग अलग होता हैं ।💐👌👍9013387725

1. योनी कुंड – योग्य पुत्र प्राप्ति हेतु ।

2. अर्ध चंद्राकार कुंड – परिवार मे सुख शांति हेतु । पर पतिपत्नी दोनों को एक साथ आहुति देना पड़ती हैं ।

3. त्रिकोण कुंड – शत्रुओं पर पूर्ण विजय हेतु ।

4. वृत्त कुंड - जन कल्याण और देश मे शांति हेतु ।

5. सम अष्टास्त्र कुंड – रोग निवारण हेतु ।

6. सम षडास्त्र कुंड – शत्रुओ मे लड़ाई झगडे करवाने हेतु ।

7. चतुष् कोणा स्त्र कुंड – सर्व कार्य की सिद्धि हेतु ।

8. पदम कुंड – तीव्रतम प्रयोग और मारण प्रयोगों से बचने हेतु ।
तो आप समझ ही गए होंगे की सामान्यतः हमें
चतुर्वर्ग के आकार के इस कुंड का ही प्रयोग करना हैं । 
ध्यान रखने योग्य बाते :- अब तक आपने शास्त्रीय बाते समझने का प्रयास किया यह बहुत जरुरी हैं । क्योंकि इसके बिना सरल बाते पर आप गंभीरता से विचार नही कर सकते । 
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सरल विधान का यह मतलब कदापि नही की आप गंभीर बातों को ह्र्द्यगमन ना करें ।

जप के बाद कितना और कैसे हवन किया जाता हैं ? कितने लोग और किस प्रकार के लोग की
आप सहायता ले सकते हैं ?
 कितना हवन किया जाना हैं ? हवन करते समय किन किन बातों का ध्यान रखना हैं ?
 क्या कोई और सरल उपाय भी जिसमे हवन ही न करना पड़े ? किस दिशा की ओर मुंह करके बैठना हैं ? 
किस प्रकार की अग्नि का आह्वान करना हैं ? किस प्रकार की हवन सामग्री का उपयोग करना हैं ?
 दीपक कैसे और किस चीज का लगाना हैं ? 
कुछ ओर आवश्यक सावधानी ? आदि बातों के साथ अब कुछ बेहद सरल बाते को अब हम देखेगे । 

जब शाष्त्रीय गूढता युक्त तथ्य हमने समंझ लिए हैं तो अब सरल बातों और किस तरह से करना हैं पर भी
कुछ विषद चर्चा की आवश्यकता हैं ।

 1. कितना हवन किया जाए ?
शास्त्रीय नियम
तो दसवे हिस्सा का हैं ।
इसका सीधा मतलब की एक अनुष्ठान मे
1,25,000 जप या 1250 माला मंत्र जप अनिवार्य हैं और इसका दशवा हिस्सा होगा 1250/10 =
125 माला हवन मतलब लगभग 12,500 आहुति । (यदि एक माला मे 108 की जगह सिर्फ100  गिनती ही माने तो) और एक आहुति मे मानलो 15 second लगे तब कुल 12,500 *
15 = 187500 second मतलब 3125 minute मतलब 52 घंटे लगभग। तो किसी एक व्यक्ति
के लिए इतनी देर आहुति दे पाना क्या संभव हैं ?
2. तो क्या अन्य
व्यक्ति की सहायता ली जा सकती हैं? तो इसका
उतर
हैं हाँ । पर वह सभी शक्ति मंत्रो से दीक्षित हो या अपने ही गुरु भाई बहिन हो तो अति उत्तम हैं । जब यह भी न संभव हो तो गुरुदेव के श्री चरणों मे अपनी असमर्थता व्यक्त कर मन ही मन
उनसे आशीर्वाद लेकर घर के सदस्यों की सहायता ले सकते हैं ।
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3. तो क्या कोई और उपाय नही हैं ? यदि दसवां हिस्सा संभव न हो तो शतांश हिस्सा भी हवन
किया जा सकता हैं । मतलब 1250/100 = 12.5 माला मतलब लगभग 1250 आहुति = लगने वाला समय = 5/6 घंटे ।यह एक साधक के लिए
संभव हैं ।

4. पर यह भी हवन भी यदि संभव ना हो तो ? कतिपय साधक किराए के मकान में या फ्लैट में रहते हैं वहां आहुति देना भी संभव नही है तब क्या ? गुरुदेव जी ने यह भी विधान सामने रखा की साधक यदि कुल जप संख्या का एक चौथाई हिस्सा जप और कर देता है संकल्प ले कर की मैं दसवा हिस्सा हवन नही कर पा रहा हूँ । इसलिए यह मंत्र जप कर रहा हूँ तो यह भी संभव हैं । पर इस केस में शतांश जप नही चलेगा इस बात का ध्यान रखे ।
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5. स्रुक स्रुव :- ये आहुति डालने के काम मे आते हैं । स्रुक 36 अंगुल लंबा और स्रुव 24 अंगुल लंबा होना चाहिए । इसका मुंह आठ अंगुल और कंठ एक अंगुल का होना चाहिए । ये दोनों स्वर्ण रजत पीपल आमपलाश की लकड़ी के बनाये जा सकते हैं ।
 
6। हवन किस चीज का किया जाना चाहिये ?
· शांति कर्म मे पीपल के पत्ते, गिलोय, घी का ।
· पुष्टि क्रम में बेलपत्र चमेली के पुष्प घी ।
· स्त्री प्राप्ति के लिए कमल ।
· दरिद्र्यता दूर करने के लिये दही और घी का ।
· आकर्षण कार्यों में पलाश के पुष्प या सेंधा नमक से ।
· वशीकरण मे चमेली के फूल से ।
· उच्चाटन मे कपास के बीज से ।
· मारण कार्य में धतूरे के बीज से हवन किया जाना चाहिए ।

7. दिशा क्या होना चाहिए ? साधरण रूप से
जो हवन कर रहे हैं वह कुंड के पश्चिम मे बैठे और उनका मुंह पूर्व
दिशा की ओर होना चाहिये । यह भी विशद व्याख्या चाहता है । यदि षट्कर्म किये
जा रहे हो तो ;
· शांती और पुष्टि कर्म में पूर्व दिशा की ओर हवन कर्ता का मुंह रहे ।
· आकर्षण मे उत्तर की ओर हवन कर्ता का मुंह रहे और यज्ञ कुंड वायु कोण में हो ।
· विद्वेषण मे नैऋत्य दिशा की ओर मुंह रहे यज्ञ कुंड वायु कोण में रहे ।
· उच्चाटन मे अग्नि कोण में मुंह रहे यज्ञ कुंड वायु कोण मे रहे ।
· मारण कार्यों में - दक्षिण दिशा में मुंह और दक्षिण दिशा में हवन कुंड हो ।
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8. किस प्रकार के हवन कुंड का उपयोग किया जाना चाहिए ?
· शांति कार्यों मे स्वर्ण, रजत या ताबे का हवन कुंड होना चाहिए ।
· अभिचार कार्यों मे लोहे का हवन कुंड होना चाहिए।
· उच्चाटन मे मिटटी का हवन कुंड ।
· मोहन् कार्यों मे पीतल का हवन कुंड ।
· और ताबे के हवन कुंड में प्रत्येक कार्य में उपयोग किया जा सकता है ।

9. किस नाम की अग्नि का आवाहन किया जाना चाहिए ?
· शांति कार्यों मे वरदा नाम की अग्नि का आवाहन किया जाना चहिये ।
· पुर्णाहुति मे शतमंगल नाम की ।
· पुष्टि कार्योंमे बलद नाम की अग्नि का ।
· अभिचार कार्योंमे क्रोध नाम की अग्नि का ।
· वशीकरण मे कामद नाम की अग्नि का आहवान किया जाना चहिये
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: 10. कुछ ध्यान योग बाते :-
· नीम या बबुल की लकड़ी का प्रयोग ना करें ।
· यदि शमशान मे हवन कर रहे हैं तो उसकी कोई भी चीजे अपने घर मे न लाये ।
· दीपक को बाजोट पर पहले से बनाये हुए चन्दन के त्रिकोण पर ही रखे ।
· दीपक मे या तो गाय के घी का या तिल का तेल का प्रयोग करें ।
· घी का दीपक देवता के दक्षिण भाग में और तिल का तेल का दीपक देवता के बाए ओर लगाया जाना चाहिए ।
· शुद्ध भारतीय वस्त्र पहिन कर हवन करें ।
· यज्ञ कुंड के ईशान कोण मे कलश की स्थापना करें ।
· कलश के चारो ओर स्वास्तिक का चित्र अंकित करें ।
· हवन कुंड को सजाया हुआ होना चाहिए ।
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अभी उच्चस्तरीय इस विज्ञानं के
अनेको तथ्यों को आपके सामने आना
बाकी हैं । जैसे की "यज्ञ कल्प सूत्र विधान"क्या हैं । 
जिसके माध्यम से आपकी हर प्रकार की इच्छा की पूर्ति केवल मात्र यज्ञ के माध्यम से हो जाति हैं । पर यह यज्ञ कल्प विधान हैं क्या ? 

यह और भी अनेको उच्चस्तरीय तथ्य जो आपको विश्वास ही नही होने देंगे की यह भी संभव हैं । इस आहुति विज्ञानं के माध्यम से आपके सामने भविष्य मे आयंगे । अभी तो मेरा उदेश्य यह हैं की इस विज्ञानं की
प्रारंभिक रूप रेखा से आप परिचित हो । तभी तो उच्चस्तर के ज्ञान की
आधार शिला रखी जा सकती हीं ।
क्योंकि कोई भी विज्ञानं क्या मात्र चार
भाव मे सम्पूर्णता से लिया जा सकता हैं ? 
कभी नही । यह 108 विज्ञान मे से एक हैं ।
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*विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंंडित विनोद शर्मा कुश*(राहडा)

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