आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों का बिना इलाज और आपरेशन किए उनके नाम पर लाखों रुपये का भुगतान ले लिया गया है। यह खेल लंबे समय से दयाल नर्सिंग होम नीम सराय मुंडेरा और ईशा अस्पताल विष्णापुरी कालोनी पोंगहट पुल में चल रहा था। मामला पकड़े जाने पर इनकी जांच की गई। जांच में पुष्टि होने पर दोनों के खिलाफ एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। अस्पताल सीज करने के साथ अब इनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा। इस तरह का यह पहला मामला है।
भनक लगने पर गठित की गई थी जांच टीम
दयाल नर्सिंग होम और ईसा हास्पिटल की जालसाजी की जानकारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण को करीब डेढ़ महीने पहले हुई थी। पता चला था कि ये दोनों ही अस्पताल फर्जी तरह से आपरेशन व अन्य चिकित्सा सेवाएं दिखाकर सरकारी खजाने से लाखों रुपये हड़प रहे हैं। जिन लोगों के गोल्डेन कार्ड पर इलाज के रिकॉर्ड अस्पताल में दर्ज होने की जानकारी मिली वे वास्तव में कर्नाटक, उत्तराखंड सहित ऐसे ही दूरदराज के राज्यों के निवासी हैं। उनमें एक लाभार्थी का इलाज उसी कार्ड पर अपने राज्य में भी हुआ था। इन अस्पतालों के बारे में और जानकारी एकत्रित करने के लिए प्राधिकरण ने स्टेट हेल्थ एजेंसी को जिम्मेदारी सौंपी। इस पर स्टेट एंटी फ्राड यूनिट, स्टेट हेल्थ एजेंसी लखनऊ तथा सीएमओ कार्यालय प्रयागराज के चिकित्साधिकारियों की टीम गठित हुई। सीएमओ कार्यालय से डॉक्टर आरसी पांडेय और डॉ महानंद इस टीम में शामिल किए गए।
जांच में खुली पोल
टीम ने जांच पड़ताल के दौरान पाया कि दोनों ही अस्पताल फर्जी तरह से आपरेशन दिखाकर क्लेम प्राप्त कर रहे थे। जांच में आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत घोर वित्तीय अनियमितता पाई गई। सीएमओ डॉ प्रभाकर राय ने बताया है कि दयाल नर्सिंग होम पर 89 लाख 36 हजार 200 तथा ईसा हास्पिटल पर 11 लाख 30 हजार 400 रुपये जुर्माना लगाते हुए प्रशासन द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराने और दोनों अस्पतालों को सीज करने के निर्देश दिए गए हैं।
सर्जरी से डॉक्टर का इन्कार
जांच टीम में शामिल डॉ आरसी पांडेय ने बताया कि आरोपित निजी अस्पतालों के प्रबंधन ने अपने रिकार्ड में लिखा था कि आपरेशन बेली रोड स्थित एक निजी चिकित्सालय के डॉक्टर ने किए हैं। जबकि उस डॉक्टर ने लिखित रूप से दिया है कि उन्होंने आरोपित अस्पतालों में कोई सर्जरी की ही नहीं।
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