पिता ने कल्पना भी नहीं की थी कि बच्चों के झगड़े में बेटे को फटकारना उनके परिवार के लिए इतना घातक साबित होगा। यमुनापार इलाके के करछना में तीन रोज पहले बहनों से झगड़े के दौरान पिता के फटकारने के बाद घर से लापता कक्षा आठ के छात्र का शव शनिवार को टोंस नदी में उतराता मिला। इससे कुछ ही घंटे पहले शुक्रवार रात उसकी दादी की सदमे से मृत्यु हो गई थी। मां की मौत के बाद सुबह बेटे की भी लाश मिलने पर माता-पिता बदहवास हो गए। शनिवार दोपहर गंगा घाट पर एक साथ दोनों का अंतिम संस्कार किया गया तो हर किसी की आंखों में आंसू थे।

पिता ने जरा सा डांटा ही था बस और वह इस कदर हो गया दुखी

चार दिन पहले बुधवार को करछना के कटका गांव निवासी लालबहादुर के इकलौते बेटे सैनन कुमार व दो बेटियां श्रेया व रिया आपस में खेलते खेलते झगड़ बैठे। पिता लाल बहादुर ने झगड़ा शांत कराने के लिए बेटे को ही फटकार लगा  दी थी। १५ वर्षीय सैनन कुमार मेजा रोड स्थित सेंट पीटर्स स्कूल में आठवीं का छात्र था। पिता लालबहादुर बेटे सैनन कुमार के भविष्य को लेकर काफ़ी फिक्रमंद थे। वह उसे सेना में भर्ती कराना चाहते थे।  तड़के इस वजह से वह रोज भोर में ही उसे दौड़ का अभ्यास करने के लिए भेजते थे। दूसरे दिन यानी गुरूवार सुबह भी सैनन घर से निकला तो यही समझा गया कि वह दौड़ने के लिए गया है।    

दौड़ने निकला घर से तो दुनिया ही छोड़ दी

लाल बहादुर और उनकी पत्नी ने कल्पना भी नहीं की थी कि बहनों से झड़प करने पर डांटने से सैनन को इतना दुख पता हुआ कि वह घऱ से दौड़ने नहीं बल्कि जान देने के इरादे से निकल गया था और अब वह कभी लौटकर वापस नहीं आएगा। वह कईपरिवार घंटे बाद भी वापस नहीं आया तो परिवार के लोग खोजबीन करने लगे। हर संभावित स्थान व रिश्तेदारी में खोज खबर ली गई। भीरपुर पुलिस चौकी में भी सैनन के गुम होने की सूचना दर्ज करा दी गी।  मगर बेटे का कहीं कोई सुराग नहीं मिला। तीन दिनों तक घर का चूल्हा नहीं जला। इकलौते बेटे के यूं गायब होने पर मां के साथ ही सैनन की दादी भी लगातार रोती रहीं।शुक्रवार की रात लाल बहादुर कि ७५ साल की मां यानी लापता सैनन की दादी चौरा देवी का आकस्मिक निधन हो गया।

मां की चिता तैयार थी तभी बेटे की मिली लाश

शनिवार की सुबह उनके अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थी तभी लापता सैनन का टोंस नदी में उतराया पाया गया। मां जानकी देवी तो बेटे का शव देखते ही बेसुध हो गई। एक साथ घर का चिराग और मां का साया छिन जाना लालबहादुर के दिलोदिमाग पर कहर बन कर टूट पड़ा। क्या पता था कि बच्चों के झगडे में फटकार लगाने से उसकी दुनिया ही बदल जायेगी। लाल बहादुर इतना बदहवास हो गए कि उनसे चिता को मुखाग्नि देते नहीं बन रहा था। उन्हें किसी तरह संभाला गया। परिवार और रिश्तेदारों के सहयोग से उन्होंने किसी तरह क्रिया कर्म किया। इस घटना से गांव वाले भी बेहद दुखी और गमगीन हैं

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