प्रदेश के समग्र विकास और आत्मनिर्भरता हेतु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद कराती है शोध
लखनऊ दिनांकः28 जनवरी,2021
विकास एक सतत् प्रक्रिया है। इसी सोच को आगे बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक ढंग से जब प्रौद्योगिकी का विकास किया जाता है, तब विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गति तेज हो जाती है। उत्तर प्रदेश के समग्र विकास और आत्मनिर्भरता के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का निरन्तर समावेश आवश्यक है। कृषि, ऊर्जा, उद्यान, साइंस पार्क, एस्ट्रोनामी, उद्योग आदि विभिन्न क्षेत्रों में वैज्ञानिक सोच के साथ शोध कर नये-नये प्रौद्योगिकी इकाइयों को आगे बढ़ाने के लिए कार्य किये जा रहे है। प्रदेश सरकार के प्रशासनिक एवं वित्तीय नियन्त्रण में स्वायत्रशासी संस्था विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश कार्यरत है। परिषद का मुख्य उद्देश्य है कि प्रदेश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास प्रोत्साहन एवं उसके उपयोग को बढ़ावा दिया जाय, जिससे प्रदेश में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विकसित हो रही नवीन प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन के साथ निरन्तरता स्थापित किया जा सके।
प्रदेश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के चयनित क्षेत्रों में परिषद द्वारा शोध कार्य कराया जाता है। विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक व सामाजिक विकास में उपयोगी शोध प्रायोजनाये प्रदेश स्थित विश्वविद्यालयो, चिकित्सा विश्वविद्यालयों, कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालयो तकनीकी संस्थानों के माध्यम से क्रियान्वित कराये जाने हेतु वित्त पोषित किया जाता है। शोध प्रयोजनाये सामान्यतः परिषद द्वारा 2 या 3 वर्ष हेतु स्वीकृत की जाती है। प्रदेश में 200 स्वीकृत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र की शोध प्रयोजनाये अनुश्रवण व वित्त पोषित करते हुए युवा शोधार्थियो को अवसर प्रदान किया गया। शोध कार्य से प्राप्त परिणामों को सम्बन्धित विभागो को क्रियान्वयन हेतु प्रेषित किया जा रहा है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उत्तर प्रदेश द्वारा प्रदेश में विज्ञान के क्षेत्र मंे उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को प्रदेश एवं देश के प्रतिष्ठित संस्थानो/विश्व-विद्यालयो में ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों/प्रोफेसर्स के साथ 2 माह की अवधि के लिए रिसर्च ट्रेनिंग हेतु अवसर उपलब्ध कराया जाता है जिसमें 25 हजार रू0 मासिक फेलोशिप प्रदान किया जाता है। इसके अन्तर्गत 77 छात्रों को 50 हजार रू0 प्रति छात्र देते हुए मानव संसाधन विकास/प्रतिभा प्रोत्साहन किया गया है।
प्रदेश में प्रौद्योगिकी हस्तान्तरण एवं राज्य की आवश्यकतानुसार विकास के लिए प्रौद्योगिकी प्रवर्तन के अन्तर्गत ऐसी परियोजनायें ली जाती है, जिनके कार्यान्वयन में प्रौद्योगिकी विकास उन्नयन व हस्तान्तरण निहित हो। इसके अन्तर्गत इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलाॅजी के विभिन्न विषयों, क्षेत्रो में व्यावहारिक एवं उपयोगी 14 शोध परियोजनाओं को परिषद द्वारा वित्तपोषित किया गया है। जिसमें सिविल, इलेक्ट्रीकल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रानिक्स, कम्प्यूटर, केमिकल, प्लास्टिक टेक्नालाॅजी, आयल व पेन्ट, फूड आदि क्षेत्र के है।
परिषद द्वारा अभियांत्रिकी विद्यार्थी परियोजना कार्यक्रम के अन्तर्गत क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष 40 प्रोजेक्ट को वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए 400 अभियांत्रिकी विद्यार्थियों को गुणवत्तायुक्त उच्च तकनीकि के साथ आर्थिक रूप से लाभान्वित करते हुए रू0 20 हजार की धनराशि प्रति प्रोजेक्ट उपलब्ध कराते हुए मानव संसाधन विकास/प्रतिभा प्रोत्साहन का अवसर प्रदान किया गया है। प्रदेश का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद विकास के विभिन्न आयामों को चिन्हित करते हुए शोध कराकर क्रियान्वयन हेतु सम्बन्धित विभागों को भिजवाती है जिससे सम्बन्धित क्षेत्र में प्रदेश का विकास हो, और प्रदेश आत्मर्निभर बने।
लखनऊ दिनांकः28 जनवरी,2021
विकास एक सतत् प्रक्रिया है। इसी सोच को आगे बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक ढंग से जब प्रौद्योगिकी का विकास किया जाता है, तब विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गति तेज हो जाती है। उत्तर प्रदेश के समग्र विकास और आत्मनिर्भरता के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का निरन्तर समावेश आवश्यक है। कृषि, ऊर्जा, उद्यान, साइंस पार्क, एस्ट्रोनामी, उद्योग आदि विभिन्न क्षेत्रों में वैज्ञानिक सोच के साथ शोध कर नये-नये प्रौद्योगिकी इकाइयों को आगे बढ़ाने के लिए कार्य किये जा रहे है। प्रदेश सरकार के प्रशासनिक एवं वित्तीय नियन्त्रण में स्वायत्रशासी संस्था विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश कार्यरत है। परिषद का मुख्य उद्देश्य है कि प्रदेश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास प्रोत्साहन एवं उसके उपयोग को बढ़ावा दिया जाय, जिससे प्रदेश में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विकसित हो रही नवीन प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन के साथ निरन्तरता स्थापित किया जा सके।
प्रदेश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के चयनित क्षेत्रों में परिषद द्वारा शोध कार्य कराया जाता है। विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक व सामाजिक विकास में उपयोगी शोध प्रायोजनाये प्रदेश स्थित विश्वविद्यालयो, चिकित्सा विश्वविद्यालयों, कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालयो तकनीकी संस्थानों के माध्यम से क्रियान्वित कराये जाने हेतु वित्त पोषित किया जाता है। शोध प्रयोजनाये सामान्यतः परिषद द्वारा 2 या 3 वर्ष हेतु स्वीकृत की जाती है। प्रदेश में 200 स्वीकृत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र की शोध प्रयोजनाये अनुश्रवण व वित्त पोषित करते हुए युवा शोधार्थियो को अवसर प्रदान किया गया। शोध कार्य से प्राप्त परिणामों को सम्बन्धित विभागो को क्रियान्वयन हेतु प्रेषित किया जा रहा है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उत्तर प्रदेश द्वारा प्रदेश में विज्ञान के क्षेत्र मंे उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को प्रदेश एवं देश के प्रतिष्ठित संस्थानो/विश्व-विद्यालयो में ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों/प्रोफेसर्स के साथ 2 माह की अवधि के लिए रिसर्च ट्रेनिंग हेतु अवसर उपलब्ध कराया जाता है जिसमें 25 हजार रू0 मासिक फेलोशिप प्रदान किया जाता है। इसके अन्तर्गत 77 छात्रों को 50 हजार रू0 प्रति छात्र देते हुए मानव संसाधन विकास/प्रतिभा प्रोत्साहन किया गया है।
प्रदेश में प्रौद्योगिकी हस्तान्तरण एवं राज्य की आवश्यकतानुसार विकास के लिए प्रौद्योगिकी प्रवर्तन के अन्तर्गत ऐसी परियोजनायें ली जाती है, जिनके कार्यान्वयन में प्रौद्योगिकी विकास उन्नयन व हस्तान्तरण निहित हो। इसके अन्तर्गत इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलाॅजी के विभिन्न विषयों, क्षेत्रो में व्यावहारिक एवं उपयोगी 14 शोध परियोजनाओं को परिषद द्वारा वित्तपोषित किया गया है। जिसमें सिविल, इलेक्ट्रीकल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रानिक्स, कम्प्यूटर, केमिकल, प्लास्टिक टेक्नालाॅजी, आयल व पेन्ट, फूड आदि क्षेत्र के है।
परिषद द्वारा अभियांत्रिकी विद्यार्थी परियोजना कार्यक्रम के अन्तर्गत क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष 40 प्रोजेक्ट को वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए 400 अभियांत्रिकी विद्यार्थियों को गुणवत्तायुक्त उच्च तकनीकि के साथ आर्थिक रूप से लाभान्वित करते हुए रू0 20 हजार की धनराशि प्रति प्रोजेक्ट उपलब्ध कराते हुए मानव संसाधन विकास/प्रतिभा प्रोत्साहन का अवसर प्रदान किया गया है। प्रदेश का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद विकास के विभिन्न आयामों को चिन्हित करते हुए शोध कराकर क्रियान्वयन हेतु सम्बन्धित विभागों को भिजवाती है जिससे सम्बन्धित क्षेत्र में प्रदेश का विकास हो, और प्रदेश आत्मर्निभर बने।
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