अंबेडकर नगर
जिस पिता के कंधों पर बेटी खेलकर बड़ी हुई थी। रविवार को उसी पिता की अर्थी को उसने कंधा भी दिया। मुखाग्नि देकर बेटे का फर्ज निभाया। बेटी को पिता की अर्थी कंधे पर ले जाते देख लोगों की आंखे नम हो गईं। आम तौर पर पुरुष प्रधान समाज में बेटा ही अर्थी को कंधा देता है। लेकिन इस परंपरा को तोड़ते हुए जनपद अंबेडकर नगर कस्बे के इंद्रलोक कॉलोनी की 12 वर्षीय बेटी खुशी ने ही पिता  राधेश्याम गुप्ता के अंतिम क्रिया कर्म के सभी संस्कार पूरे किए।
(राधेश्याम गुप्ता)पिता की मौत के बाद बेसहारा हुए  इंद्रलोक कॉलोनी शहजादपुर निवासी चार बच्चियों की मदद के लिए लोग आगे आ रहे हैं।
पिता की मृत्यु के बाद, असहाय महसूस कर रहे परिवार की तरफ किसी ने हाथ नहीं बढ़ाया, तो बेटियां अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए कंधा दिया।  मुखाग्नि देकर एक औलाद का फर्ज पूरा किया। इस हौसले को देख लोग बच्चियों की मदद में आगे आना प्रारंभ कर दिए हैं।

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने