विंध्याचल। पौषी पूर्णिमा पर वृहस्पतिवार को कड़ाके के ठंड के बावजूद आस्थाधाम भक्तों से पटा रहा। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मां विंध्यवासिनी का दर्शन व पूजन किया। दर्शन पूजन के लिए रात से ही भक्तों के यहां आने का सिलसिला शुरू हो गया था। जो देर रात तक चलता रहा।
गंगा स्नान, ध्यान के बाद हांथो में नारियल, चुनरी, माला-फूल व प्रसाद लिए श्रद्धालु कतारबद्ध हो गए। भोर में मंगला आरती के बाद जैसे ही मंदिर का कपाट खुला कि गर्भगृह की ओर जयकारे लगाते हुए माता के भक्त टूट पड़े। उमड़ी भीड़ के चलते किसी ने झांकी तो किसी ने गर्भगृह में पहुंचकर माता का दर्शन पूजन किया। गुड़हल फूल के साथ ही अन्य आकर्षक फूलों व रत्नजणित स्वर्णाभूषणों से किया गया माता के शृंगार की एक झलक प्राप्त कर सुख, समृद्धि की कामना की। ज्यादातर श्रद्धालु मंदिर में विराजमान समस्त देवी देवताओं के दर्शन पूजन करने के बाद हवन कुंड में पहुंच कर आहुति डाली। दर्शन पूजन के बीच किसी तरह का व्यवधान न हो इसके लिए श्री विंध्य पंडा समाज के अलावा स्थानीय सुरक्षाकर्मी मुस्तैद रहे।
गंगा स्नान, ध्यान के बाद हांथो में नारियल, चुनरी, माला-फूल व प्रसाद लिए श्रद्धालु कतारबद्ध हो गए। भोर में मंगला आरती के बाद जैसे ही मंदिर का कपाट खुला कि गर्भगृह की ओर जयकारे लगाते हुए माता के भक्त टूट पड़े। उमड़ी भीड़ के चलते किसी ने झांकी तो किसी ने गर्भगृह में पहुंचकर माता का दर्शन पूजन किया। गुड़हल फूल के साथ ही अन्य आकर्षक फूलों व रत्नजणित स्वर्णाभूषणों से किया गया माता के शृंगार की एक झलक प्राप्त कर सुख, समृद्धि की कामना की। ज्यादातर श्रद्धालु मंदिर में विराजमान समस्त देवी देवताओं के दर्शन पूजन करने के बाद हवन कुंड में पहुंच कर आहुति डाली। दर्शन पूजन के बीच किसी तरह का व्यवधान न हो इसके लिए श्री विंध्य पंडा समाज के अलावा स्थानीय सुरक्षाकर्मी मुस्तैद रहे।
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