गिरजा शंकर गुप्ता
अंबेडकरनगर 31 जनवरी 2021। गणेश चौथ हिन्दुओं के देवाधि देव प्रथम पूज्य आराध्य गणेश जी को कई नामों से जाना जाता है जैसे सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट,  विनायक, धूमकेतु, गणअध्यक्ष ,भालचंद, गजानंड आदि गणेश चौथ को सकटचौथ,  वक्रतुंडी चतुर्थी, माही व तिलकुटा चौथ के नाम से भी जाना जाता है। यह अत्यंत शुभ होता है चतुर्थी का यह शुभ पर्व भगवान गणेश जी को समर्पित होता है। इस दिन भक्त भगवान गणेश जी की विधि पूर्वक पूजा करता हैं जिससे जीवन में आने वाले समस्त प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती हैं। इस दिन तिल और गुड़ से बनी चीजों को खाया जाता है। इसलिए इसे तिलकुटा व्रत भी कहते हैं
 यह त्यौहार बड़े ही प्रेम तथा आदर भाव के साथ मनाया जाता है किवदंती है कि इस विशेष दिन भगवान गणेश की पूजा, आराधना वत्र करने से समस्त कष्टों का नाश होता है। माताएं अपने संतान के लिए इस व्रत को रखती हैं चौथ का व्रत जीवन में सुख समृद्धि यश में बृद्धि करता है। यह व्रत संतान के लिए बहुत श्रेष्ठ माना जाता है। 
   ऐसी मान्यता है कि मां द्वारा रखा जाने वाला व्रत बच्चों के जीवन में आने वाली बाधा को दूर करता हैं  जिससे संतान पर गणेश जी की कृपा हमेशा बनी रहती है। यह व्रत निर्जला भी रखा जाता है तथा इसमें भगवान गणेश को तिल लड्डू, शकरकंद का भोग लगाया जाता है तथा चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत पूरा होता है
 इस व्रत में पूजा विधि में बहुत सावधानी बरतनी होती है। इसमें स्नान आदि करके साफ स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान गणेश की प्रतिमा को पवित्र गंगाजल से स्नान कराया जाता है तथा पूरे विधि विधान से गणेश जी की पूजा की जाती है और गणेश जी की मूर्ति के पास कलश में जल भरकर रखा जाता है । फिर उन्हें धूप, दीप, तिल, लड्डू चढ़ाया जाता है। सूर्यास्त के बाद चंद्र दर्शन करके चंद्रमा की पूजा की जाती है । गणेश चौथ व्रत रखने से संतान को लंबी उम्र की प्राप्ति होती हैं।

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