भारत में शिमला मिर्च की व्यवसायिक खेती पहले तमिलनाडु, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में की जाती थी। अब इसकी खेती मैदानी क्षेत्रों में भी की जाने लगी है। चरपराहट रहित होने के चलते इसे मुख्य रूप से सब्जी और सलाद के रूप में प्रयोग करते हैं। इसमें विटामिन ए, बी और सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसकी खेती के लिए 20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उपयुक्त होता है।

क्षारीय और भारी भूमि को छोड़कर शिमला मिर्च को सभी प्रकार की भूमियों में सफलतापूर्वक पैदा किया जा सकता है, लेकिन उत्तम उपज के लिए बलुई] दोमट मिट्टी अच्छी पाई जाती है। ऐसी मिट्टी जिसका पीएच मान 6 से 7.5 के बीच हो, खेती करने के लिए उपयुक्त होगी। एक हेक्टेयर खेत की रोपाई के लिए सामान्य प्रजातियों की 7 सौ ग्राम और संकर प्रजातियों की 250 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि शरद ऋतु की फसल के लिए नर्सरी में बीज की बोआई अगस्त माह में और बसंत ऋतु के लिए नर्सरी मेें बीज की बोआई नवंबर माह में करनी चाहिए। पौधशाला की क्यारियों को अच्छी तरह से निकाई-गुड़ाई करके खरपतवार निकालकर मिट्टी को भुरभुरा बनाकर खाद मिला देना चाहिए। नर्सरी में जब पौध 30 दिन की हो जाए या उनमें 4-5 पत्तियां निकल आए तो पौध रोपण के लिए तैयार हो जाती है। नर्सरी से पौध उखाडऩे के पहले हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। ऐसा करने से पौध आसानी से निकाले जा सकते हैं।


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