कल्पवासियों के देरी से आने के कारण कई संस्थाएं भी तंबू लगाने में जल्दबाजी नहीं कर रही हैं।
27 जनवरी से आएंगे इस बार कल्पवासी
कोरोना के संक्रमण के चलते इस बार माघ मेेले की तैयारी देर से शुरू हुई। तैयारियां अभी चल रही हैं। फिलहाल मेला प्राधिकरण ने संतों और संस्थाओं को जमीन का आवंटन कर दिया है। संस्थाओं को सुविधा पर्चियां दी जा रही हैं, लेकिन अभी तंबुओं के शहर जैसा नजारा नहीं दिख रहा है। क्योंकि इन तंबुओं में रहकर कल्पवास करने वाले श्रद्धालु 28 जनवरी से आएंगे। पूर्व के वर्षों में अधिकतर बार पौष पूर्णिमा मकर संक्रांति से पहले या इसके आसपास ही पड़ती थी। तब मकर संक्रांति तक मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ हो जाती थी, लेकिन इस बार पौष पूर्णिमा मकर संक्रांति के 16 दिन बाद पड़ेगी, इसलिए ज्यादातर कल्पवासी पौष पूर्णिमा के आसपास पाएंगे और माघ की पूर्णिमा तक कल्पवास करेंगे। इस देरी से मेला प्रशासन को भी बसावट के लिए कुछ समय मिल गया है। मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि पांटून पुल, सड़क, बिजली आदि का काम हो गया है। शौचालय का निर्माण चल रहा है। जब तक कल्पवासी आएंगे, सभी इंतजाम पूरे हो जाएंगे।
मुख्य स्नान पर्व
- मकर संक्रांति -14 जनवरी
- पौष पूर्णिमा - 28 जनवरी
- मौनी अमावस्या - 11 फरवरी
- वसंत पंचमी - 16 फरवरी
- माघी पूर्णिमा - 27 फरवरी
- महाशिवरात्रि - 11 मार्च
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