प्रयागराज के रंगमंच की सशक्त हस्ताक्षर पूजा ठाकुर का गुरुवार रात मुंबई में उनकी बेटी के घर देहांत हो गया। उनकी उम्र लगभग 65 वर्ष की थी। उनके निधन से प्रयागराज के थियेटर से जुड़े कलाकारों में शोक की लहर दौड़ गई।

विवाह के बाद भी अपनी अभिरूचि को नहीं छोड़ा

युवावस्था से ही अभिनय मे रुचि थी।  नंदू ठाकुर से विवाह हो जाने के बाद उनकी ये अभिरुचि परवान चढ़ी और उन्हों ने सैकड़ों यादगार प्रस्तुतियां दीं।  आकाशवाणी से भी भरपूर जुड़ाव रहा और महिलाओं के कार्यक्रम के साथ साथ अनेक नाटकों में जान फूँक दी। पति की मृत्यु के उपरांत उन्हें शिक्षा विभाग में नौकरी मिली, पर उनकी रंग यात्रा रुकी नहीं।

उनके अभिनय को याद करते हैं लोग

पति की स्मृतियों को समर्पित नाट्य समारोह का आयोजन हर वर्ष करती रहीं जिसमे नाट्य जगत की जानी मानी हस्तियाँ शिरकत करती थी। उनका एकल नाटक ये कठपुतली अलबेली काफी चर्चित रहा।  गोदान, कर्ण कथा, हज़ार चौरासी की माँ, अपना अपना दर्द, हेमलेट, कहानी घर घर की नाटकों में उनके अभिनय को लोग अब तक याद करते हैं।


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