राम माधव ने पुस्तक के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि यह पुस्तक कई वर्षों के लेखन का संकलन है और 'राष्ट्र सर्वोपरी (राष्ट्र ही सर्वोच्च विचार है)' आधारित विचार पर लिखी गई है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक का विषयवस्तु तीन उद्देश्य पर आधारित है- सबसे पहले, एक मजबूत लोकतंत्र या महात्मा गांधी की 'रामराज्य' जहां प्रत्येक नागरिक की आवाज का महत्व है।
दूसरे अंबेडकर का सामाजिक लोकतंत्र और तीसरी गांधी-विनोबा-दीन दयाल के ‘अंत्योदय' नामक आर्थिक अवधारणा। पूर्व में संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष प्रो. टी. वी. कट्टीमनी ने वर्चुअल मोड से मुख्य अतिथि का स्वागत किया। निदेशक प्रो. बद्री नारायण ने संस्थान के दृष्टिकोण को साझा किया। उन्होंने कहा कि राम माधव एक ऐसे व्यक्ति हैं जो सोचते हैं, जो लिखते हैं और समाज के विमर्शों और चुनौतियों में हस्तक्षेप करते हैं। संस्थान के सहायक प्रोफेसर डॉ. कुणाल केसरी ने लेखक का परिचय कराया। प्रोफेसर भास्कर मजुमदार ने कहा कि पुस्तक पारंपरिक अकादमिक लेखन से अलग है जो वर्तमान समय की जीवंत समस्याओं पर प्रकाश डालती है।
पुस्तक चर्चा प्रश्न-उत्तर सत्र के साथ समाप्त हुई। प्रो. केएन भट्ट ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। प्रो. जीसी रथ, डॉ. अर्चना सिंह, डॉ. सतेन्द्र कुमार, डॉ. चन्द्रैया गोपानी, डॉ. रेवा सिंह और इलाहाबाद विश्वविद्यालय और उसके संलग्न कॉलेजों के शिक्षाविद एवं विद्वान भी चर्चा में उपस्थित थे। यह पुस्तक चर्चा ‘मीट द औथर शृंखला का हिस्सा था जिसमें छात्रों को लेखक के साथ बातचीत करने का अवसर प्रदान किया जाता है। कार्यक्रम ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों में आयोजित किया गया।
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