संवेदना ग्रुप की पुस्तक बैंक खुलने से गरीब छात्रों को बेहेतर भविष्य की आस जगी।
औरैया // आज बढ़ती महंगाई में सैकड़ों ऐसे बच्चे हैं, जिनमें आगे बढ़ने का जज्बा तो है लेकिन आर्थिक तंगी से मजबूर होकर अपनी मंजिल हासिल नहीं कर पाते हैं। उनके लिए पुस्तक बैंक 'टानिक' बनकर उभरी है इसमें नर्सरी से लेकर 10वीं, 12वीं, स्नातक कोर्स की पुस्तकों का संग्रह किया गया है। प्रतिभाशाली गरीब छात्रों को पैसों के अभाव में समस्याओं का सामना न करना पड़े इसके लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की पुस्तकें भी संग्रहीत की गई हैं संस्थापक सक्षम सेंगर ने बताया कि पुस्तक बैंक की शुरूआत लगभग 10 माह पूर्व 500 पुस्तकों के साथ की गई। इसके पश्चात शिक्षक वर्ग, युवा वर्ग व आम जनमानस को जागरूक किया गया। शिक्षा पूर्ण करने के उपरांत घरों में रखी पाठ्य पुस्तकों को पुस्तक बैंक में जमा करने का आग्रह किया गया। इसमें लोगों ने बढ़ चढ़कर सहभागिता की जिसके परिणामस्वरूप 18 हजार से अधिक विभिन्न कक्षाओं व प्रतियोगी पुस्तकें बैंक में संग्रह की गई हैं विद्यार्थी यहां बैठकर व घर ले जाकर भी इनका अध्ययन कर सकते हैं लाइब्रेरी को और भी अधिक विस्तृत रूप देने की तैयारी चल रही है इसके साथ ही संस्था पिछले 18 महीनों से निशुल्क भोजन, वस्त्र वितरण, मुक्तिधाम रथ सेवा, गौरैया संरक्षण, पौधरोपण, बेजुबानों को पानी आदि की व्यवस्था कर रही है संवेदना ग्रुप ने एक उच्च विचारधारा रखकर 'पुस्तक बैंक' की स्थापना की है जो निर्धन व गरीब बच्चों की प्रतिभाओं को निखारते हुए उन्हें 'उड़ान' देगा और जिंदगी को संवारने में मील का पत्थर साबित होगी।
जे. एस. यादव
हिन्दी संवाद न्यूज
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