अक्षयवट मार्ग पर काम करती है राम नाम बैंक की शाखा
माघ मेले में संगम किनारे अक्षयवट मार्ग पर यह बैंक हर साल खुलता है जहां संगम में पुण्य की डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालु पहुंचते हैं और वहां बैठकर भगवान श्रीराम का नाम एक पुस्तिका पर लिखकर जमा करते हैं। तंबुओं के बने इस बैंक में धन का नहीं बल्कि भगवान राम के नाम का लेनदेन होता है जबकि अन्य प्रक्रियाएं सामान्य बैंकों की तरह होती हैं जैसे श्रद्धालुओं को यहां खाता संख्या प्रदान की जाती है। पासबुक दिया जाता है जिसमें जमा राम नाम की संख्या दर्ज रहती है। खाते में जमा की जानकारी भी दी जाती है।
बैंक से जुड़े हैं सभी धर्मों और मजहब को मानने वाले
रामनाम बैंक में जाति,धर्म, मजहब का कोई भेदभाव नहीं है। हिंदू, सिख, इसाई और मुस्लिम सभी इसमें खाता धारक हैं जो खुद राम नाम लिखकर जमा करते हैं और दूसरों से भी लिखा कर जमा करते हैं। बैंक का संचालन करने वाले राम नाम सेवा ट्रस्ट की ट्रस्टी गुंजन वार्ष्णेय का कहना है कि माघ और कुंभ मेले में हर साल लोग देश विदेश से आते हैं और संगम तट पर खुलने वाले राम नाम बैंक में हिंदी, उर्दू, बांगला, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगु में राम का नाम लिखकर जमा करते हैं
इस बैंक में सुरक्षित है पांच करोड़ से अधिक राम नाम रूपी धन
इस राम नाम बैंक की मुख्य शाखा प्रयागराज के सिविल लाइंस इलाके में एनपीए आर्किड में स्थित है जबकि शहर और देश के अन्य शहरों में भी इसकी शाखाएं काम कर रही हैं। जहां लोग राम नाम लिखकर जमा करते हैं। खाता धारकों को बैंक द्वारा तीस पेज की पुस्तिका दी जाती है जिसमें हर पेज पर 108 बार रामनाम लिखना होता है। गुंजन वाष्र्णेय के मुताबिक अब बैंक द्वारा ऑनलाइन भी रामराम लिखने की सुविधा दी गई है। खाताधारक कहीं से भी वाट्सअप आदि पर रामनाम लिख कर बैंक में जमा कर सकते हैं।
अक्षय रहता है संगम क्षेत्र में किया गया कोई भी पुण्य कार्य
बैंक के प्रबंधन से जुड़े ज्योतिर्विद आशुतोष वार्ष्णेय ने बताया कि संगम को अक्षय क्षेत्र कहा जाता है इसलिए यहां किए गए किसी भी पुण्य कार्य का फल जन्म जन्मांतर तक अक्षय रहता है। अक्षय क्षेत्र में राम नाम लिखने वालों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। राम नाम लिखित करोड़ों पुस्तिकाओं को अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण शुरू होने पर रामलला को समर्पित किया जाएगा। बैंक के तमाम खाता धारकों ने ऐसी इच्छा भी व्यक्त की है।
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