अम्बेडकर नगर, 6 जनवरी। राजेसुल्तानपुर थाना क्षेत्र के मल्लूपुर मजगंवा गांव में सोमवार को हुई सगे भाइयों की हत्या के मामले में पुलिस अभी तक किसी भी आरोपी के नजदीक नही पंहुच सकी है। वहीं घटना की पृष्ठ भूमि तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाले सरकारी कर्मियों पर भी प्रशासनिक अमला मेहरबान दिख रहा है। हत्याकांड के पूर्व हुए विवाद की जड़ में रहे ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों की भूमिका की जांच करने की आवश्यकता नही समझी जा रही है जबकि इस विवाद की शुरूआत ही सम्बन्धित ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की करतूत से ही हुआ। पूरे प्रकरण को सिलसिलेवार जानना जरूरी है। जानकारी के अनुसार बनकठा बुजुर्ग गांव निवासी अमित सिंह ने अभी डेढ़ माह पूर्व ही मल्लूपुर मजगंवा में स्थित अपने गन्ने के खेत से गन्ना काटकर अपना कथित करकटनुमा मकान बनवाया था। बताया जाता है कि इस कथित मकान में कभी -कभार पार्टी का आयोजन होता रहा है। अमित सिंह ने 21 अक्टूबर को बनकठा बुजुर्ग ग्राम पंचायत के परिवार रजिस्टर से अपना नाम कटवाया था तथा मल्लूपुर मजगंवा के ग्राम पंचायत, विकास अधिकारी अंकुर शर्मा की कृपा से 29 अक्टूबर को ही उनका नाम मल्लूपुरं मजगंवा में दर्ज कर दिया गया। इसी परिवार रजिस्टर के आधार पर अमित सिंह ने तहसील से मल्लूपुरं मजगंवा गांव का निवास प्रमाण पत्र भी प्राप्त कर लिया जिसके आधार पर वह वहां का मतदाता बनने का प्रयास करने लगा। मृतक अनिल मिश्रा ग्राम पंचायत, विकास अधिकारी इसी मनमानी करतूत का विरोध कर रहे थे तथा यह प्रकरण उपजिलाधिकारी एवं तहसीलदार के समक्ष लंबित था। दोनों पक्षों में जबरदस्त तनातनी के बावजूद तहसील स्तरीय अधिकारी इस संवेदनशील मामले मे ढुलमुल रवैया अपना रहे थे जिसके परिणाम स्वरूप हत्या जैसी जघन्य घटना को अंजाम दे दिया गया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार किसी भी गांव का निवासी होने के लिए वहां पर लगातार छः माह तक रहना अनिवार्य होता है। यदि अमित सिंह ने डेढ़ माह पूर्व ही वह कथित मकान बनवाया था तथा 21 अक्टूबर तक वह बनकठा बुजुर्ग के निवासी थे तो 29 अक्टूबर को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी अंकुर शर्मा ने उनका नाम मल्लूपुर मजगंवा में कैसे दर्ज कर लिया। जाहिर है कि 2015 के पंचायत चुनाव से चल रहे दोनों पक्षों के विवाद में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की भूमिका ने आग में घी का काम किया। ऐसी स्थिति में इस जघन्य घटना में ब्लाक व तहसील के जिम्मेदार कर्मचारियों के विरूद्ध भी कार्यवाही होना लाजिमी है। देखना है कि जिला प्रशासन मनमानी करने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों पर कार्यवाही कब करता है।

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