उतरांव थाना क्षेत्र की एक महिला ने 2018 में गांव के ही लालचंद के खिलाफ रेप की एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप था कि वह घर से शौच के लिए निकली। रास्ते में तीन लोगों ने उसका मुंह दबा कर घसीट लिया। उसके साथ गलत काम किया। उनमें आरोपी लालचंद को वह पहचानती थी। अन्य दोनों आरोपी अगर सामने आए तो चेहरे से पहचान लेगी। पुलिस ने जांच की लेकिन आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया। इस बीच आरोपी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत मिल गई। उतरांव पुलिस ने बिना गिरफ्तारी आरोप पत्र दाखिल किया।
इस बीच आरोपी ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए किसी अन्य एजेंसी से जांच करने की गुहार लगाई। इस केस की जांच लखनऊ सीबीसीआईडी को ट्रांसफर हो गई। इधर, पीड़िता ने जांच ट्रांसफर होने के खिलाफ कोर्ट से गुहार लगाई और स्थानीय पुलिस से ही जांच कराने की मांग की। आखिर में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने इस केस की सुनवाई के बाद निर्देश दिया कि एक महीने के अंदर जांच पूरी करके जानकारी दें। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रयागराज सीबीसीआईडी के इंस्पेक्टर डीएन उपाध्याय ने इस केस की बारीकी से जांच की और एक महीने के अंदर तफ्तीश पूरी करने के बाद गैंगरेप के आरोप में लालचंद पटेल के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया।
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