गिरजा शंकर गुप्ता तहसील ब्यूरों
अम्बेडकरनगर। सरकारी सम्पत्तियों की बर्बादी किस कदर की जाती है यह सरकारी अमले की कार्यप्रणाली को देखकर आसानी से जाना जा सकता है। सरकारी सामानों को नीलाम करने के बजाय उसे सड़ने के लिए छोड़ देने में भी सरकारी अमले के बाबुओं को बखूबी आता है। बर्बाद हो रही सरकारी सम्पत्तियों के रख-रखाव की जिम्मेदारी किसकी है, उसकी बर्बादी के लिए कौन जिम्मेदार है, इसे बताने वाला भी कोई नही। सबसे बुरी स्थिति तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में देखने को मिल रहा है। इस कार्यालय परिसर में लगभग दर्जन भर वाहन सड़ने के लिए छोड़ दिये गये हैं जबकि यदि इनकी नीलामी की जाती तो विभाग को लाखों का फायदा हो सकता है लेकिन हाकिमों ने कुछ करने के बजाय इसे किनारे कर दिया है। सीएमओ कार्यालय के पूर्वी तरफ झाड़ियों के बीच में कुल 11 वाहन सड़ने की स्थिति में पंहुच गये हैं। इनमें एम्बूलेंस, जीप समेत अन्य कई वाहन हैं। जानकारी के अनुसार विभागीय कर्मी इनकी नीलामी करने में कोई रूचि नही ले रहे हैं। नियमानुसार निष्प्रयोज्य हो चुके वाहनों को परिवहन विभाग द्वारा मूल्यांकन किये जाने के उपरान्त नीलाम किया जाता है तथा उससे प्राप्त धनराशि सरकारी खाते में जमा की जाती है लेकिन यहां पर इस प्रक्रिया को अपनाने की फुर्सत ही विभागीय कर्मियों को नही है जिसके चलते सरकार को लाखों रूपये की क्षति हो रही है। यही हाल, जिला अस्पताल में सड़ रहे वाहनों का भी है। यहां भी इन्हें नीलाम करने की कोई प्रक्रिया नही अपनाई जा रही है। प्रश्न यह उठता है कि यदि लाखों की सम्पत्ति बर्बाद होती है तो आखिर उसका जिम्मेदार कौन होगा।
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