बलरामपुर

विश्व कुष्ठ दिवस पर विशेष
कुष्ठ रोग पुराने पाप से नहीं बैक्टीरिया से फैलने वाला रोगः डा. अरूण कुमार
-कुष्ठ रोगी 06 से 12 माह तक इलाज से हो सकते हैं बिल्कुल स्वस्थ
- कुष्ठ रोग को हराना, कलंक मिटाना, मानसिक खुशहाली को बढ़ाना थीम पर चलेगा जागरूकता अभियान
बलरामपुर 29 जनवरी। महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को विश्व कुष्ठ दिवस के रूप में मनाया जाता है। कुष्ठ रोग को हराना, कलंक मिटाना, मानसिक खुशहाली को बढ़ाना थीम पर इस बार महात्मा गांधी को याद कर जिले में स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। महात्मा गांधी कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की सेवा कर उनका हौसला बढ़ाते थे, उनके जीवन को सामान्य बनाने की कोशिश करते थे। गांधी जी की वजह से बहुत सारे कुष्ठ रोगी को नई जिंदगी मिली और वह अच्छी तरह से अपना जीवन व्यतीत कर पाए। 
शुक्रवार को डीआईओ व जिला कुष्ठ अधिकारी डा. अरूण कुमार ने बताया कि स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान के तहत जिले में 30 जनवरी से 13 फरवरी तक कुष्ठ पखवाड़ा मनाया जाएगा। सभी कार्यालयों, स्कूलों, ग्राम सभा, नगरीय वार्डो, नगर पालिका व नगर पंचायतों में जिले को कुष्ठ मुक्त बनाने के लिए संकल्प लेंगें। इस दौरान सभी स्कूलों में छात्र छात्राओं को जागरूक करते हुए कुष्ठ रोग के बारे में इलाज और बचाव की जानकारी भी दी जाएगी। उन्होने बताया कि जिले में अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 तक कुल 116 नये मरीज पाये गये है जिसमें से 66 पुरूष, 46 महिला और 4 बच्चे शामिल हैं। इस वर्ष कुल 126 मरीज कुष्ठ रोग से ठीक होकर सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
-मन में ना पाले भ्रम
कुष्ठ रोग दुनिया का सबसे पुरानी बीमारी है। कई लोग कहते हैं कि कुष्ठ रोग पिछले जन्म के पापों की सजा है। यह सोचना बिल्कुल गलत है। असल में कुष्ठ रोग एक बैक्टीरिया से फैलने वाला संक्रमित रोग है, जिसका नाम माइकोबैक्टेरियम लैप्री है। उन्होने बताया कि लोगों में यह भ्रांतियां हैं कि किसी को कुष्ठ रोग हो जाए, तो वह जान गंवा बैठता है, यह मानना भी बिल्कुल गलत है। कुष्ठ रोग के रोगी को परिवार से अलग रहना बहुत जरूरी है, यह भी एक बहुत बड़ी भ्रांति है। 
कुष्ठ रोग का है निःशुल्क इलाज
कुष्ठ रोग का संपूर्ण इलाज है। मल्टी ड्रग थेरेपी जोकि डब्ल्यूएचओ, इंडिया से बिल्कुल फ्री मिलती है। इन दवाइयों को खाकर यह बीमारी बिल्कुल खत्म हो जाती है। खास बात यह है कि यह इलाज फ्री है। कुष्ठ रोगी जैसे ही ट्रीटमेंट शुरू करता है पहली डोज से ही वह दूसरों को इंफेक्शन नहीं फैला सकता। इलाज शुरू होने पर रोगी दूसरों को रोग नहीं फैला सकता, इसलिए वह अपने परिवार में अपने दोस्तों के साथ रह सकता है। डा. अरूण ने बताया कि हमें इसके बारे में खुद को जागरूक कर अपने परिवार और दोस्तों को भी जागरूक करना है और इस बीमारी से लडना है।
-ऐसे करें कुष्ठ की पहचान
कुष्ठ रोग का बैक्टीरिया त्वचा और नव्र्स को इफेक्ट करता है, साथ ही साथ आंख, नाक भी प्रभावित कर सकता है। त्वचा में हल्के रंग के दाग देखने को मिलते हैं, जिन पर बाल कम हो जाते हैं, सूखापन आ जाता है और सुनपन आ जाता है। धीरे धीरे यह सुनपन हाथ पांव में बढ़ जाता है और व्यक्ति को छूने का पता नहीं लगता। गर्म ठंडे का पता नहीं चलता, इसकी वजह से उन्हें आसानी से चोट लग सकती है। वह आसानी से जल सकते हैं और इसमें आसानी से अल्सर बन सकते हैं। सबसे ज्यादा खतरा घर में उस कुष्ठ रोगी को है जिसका इलाज शुरू नहीं किया गया है। अगर घर में बच्चे हैं, तो सबसे ज्यादा खतरा उन्हें होता है।
-कैसे फैलता है इंफेक्शन
यह इंफेक्शन सांस और नाक से एक दूसरे से फैलता है। इसका बैक्टीरिया जब रोगी के नाक के द्वारा बाहर वातावरण में निकलता है, तो दूसरे इंसान के नाक के द्वारा अंदर चला जाता है और उसके बाद पूरे शरीर में फैल कर शरीर के किसी भी अंग को अपनी चपेट में ले सकता है।
-छः व बारह माह तक चलता है इलाज
जिन लोगों में लक्षण नहीं दिखते, उनको हल्की बीमारी है उसे पोसिबिसिलेरी इन्फेक्शन कहते हैं जिसमें त्वचा पर 5 या 5 से कम निशान या इनफैक्ट होना देखा जाता है। उसका इलाज 6 महीने में पूरा हो जाता है। दूसरी बीमारी जिसको हम मल्टीबैकिलेरी इन्फेक्शन कहते हैं, उसका इलाज 12 महीने तक चलता है। उसके बाद व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाता है, अगर किसी व्यक्ति को लेपरा रिएक्शन हो तो उसका अलग से इलाज 3 से 6 महीने तक का चलता है। सही इलाज से कुष्ठ रोग से होने वाली अपंगता से बच सकते हैं।
-कुष्ठ रोगी इन बातों का रखें ध्यान
जिला मेमोरियल चिकित्सालय में कुष्ठ क्लीनिक के नाॅन मेडिकल असिस्टेंट मुन्ना प्रसाद ने बताया कि  कुष्ठ रोग के बारे में जागरूकता बहुत जरूरी है। कुष्ठ रोगियों को अपने हाथ पैर का ध्यान, त्वचा का ध्यान, अपनी आंख का ध्यान रखना रखना चाहिए। उन्हे रोज अपने हाथ पैर अच्छी तरह से धोकर उसमें तेल की मालिश करना। कहीं जख्म है तो उसका इलाज करना। गर्म चीजों को सीधे ना पकड़ना, बीड़ी-सिगरेट का सेवन बंद करने जैसी सावधानियों से कुष्ठ रोगी का जीवन सामान्य हो जाता है। 
अगर किसी को मानसिक परेशानी है तो उसका भी इलाज मानसिक रोग विशेषज्ञ से करवाया जाता है। यह रोगी अपने परिवार व बच्चों के साथ ठीक से रह सकते हैं। ध्यान रहे कि कुष्ठ रोगियों की अपंगता की बजाय उनकी काबिलियत पर ध्यान दें और उनके साथ सामान्य मनुष्य की तरह व्यवहार करें।
आनन्द मिश्रा 
बलरामपुर 

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