मिर्जापुर। गुरु के बिना जीवन में ज्ञान का मार्ग प्रकाशित नहीं हो सकता। क्योंकि पूरे संसार में गुरु तत्व व्याप्त है। हमारी संस्कृति में वेदों में पुराणों में गुरु को भगवान ब्रह्मा-विष्णु तथा महेश से भी अधिक महत्व दिया गया है। यह विचार विकास खंड सिटी के रायपुर पोख्ता गांव स्थित शंकराचार्य आश्रम में आयोजित शिव महापुराण ज्ञान यज्ञ के दौरान स्वामी नाराणानन्द तीर्थ महराज ने कथा के नौवें दिन व्यक्त किए।
स्वामी नारायणानन्द तीर्थ ने कहा गुरु, दीक्षा से, ज्ञान से शिष्य को अध्यात्म की ओर प्रेरित करता है। दूसरे अर्थों में कह सकते हैं कि गुरु केवल व्यक्ति नहीं बल्कि एक तत्व हैं। गरुड़जी पक्षियों के राजा हैं। किंतु उन्होंने काक भुसुंडिजी को अपना गुरु बनाया। वह कहते हैं कि बिना गुरु के संसार रूपी सागर से उद्धार संभव नहीं है। बताया कि शास्त्रों में गुरु को साक्षात महेश्वर कहा गया है। ईश्वर के अस्तित्व में मतभेद हो सकता है किंतु गुरुजनों के लिए कोई मतभेद नहीं। कथा से पूर्व श्री काशी धर्मपीठ परंपरा के अनुसार पादुका पूजन वैदिक मंत्रों से पंडित हिमांशु शुक्ला, आचार्य कृष्ण कुमार दुबे एवं मुख्य यजमान ग्राम प्रधान हरीशचंद्र शुक्ला, शिवाकांत त्रिपाठी, नागेंद्र दुबे, राम सागर शुक्ला (बंसी ) समेत अन्य भक्तों ने पादुका पूजन एवं मंगलमय आरती उतारी।
स्वामी नारायणानन्द तीर्थ ने कहा गुरु, दीक्षा से, ज्ञान से शिष्य को अध्यात्म की ओर प्रेरित करता है। दूसरे अर्थों में कह सकते हैं कि गुरु केवल व्यक्ति नहीं बल्कि एक तत्व हैं। गरुड़जी पक्षियों के राजा हैं। किंतु उन्होंने काक भुसुंडिजी को अपना गुरु बनाया। वह कहते हैं कि बिना गुरु के संसार रूपी सागर से उद्धार संभव नहीं है। बताया कि शास्त्रों में गुरु को साक्षात महेश्वर कहा गया है। ईश्वर के अस्तित्व में मतभेद हो सकता है किंतु गुरुजनों के लिए कोई मतभेद नहीं। कथा से पूर्व श्री काशी धर्मपीठ परंपरा के अनुसार पादुका पूजन वैदिक मंत्रों से पंडित हिमांशु शुक्ला, आचार्य कृष्ण कुमार दुबे एवं मुख्य यजमान ग्राम प्रधान हरीशचंद्र शुक्ला, शिवाकांत त्रिपाठी, नागेंद्र दुबे, राम सागर शुक्ला (बंसी ) समेत अन्य भक्तों ने पादुका पूजन एवं मंगलमय आरती उतारी।
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