तहसील कॉलोनी में कर्मचारियों के लिए बने आवास बुरी तरह बदहाल हो चुके हैं। इन आवासों में रहना खतरे से खाली नहीं है लेकिन मुख्यालय पर चौबीसों घंटे रहने की विवशता के कारण इन्ही जर्जर कमरों में रहना पड़ रहा है।
परिसर में न तो जल निकासी की ही पर्याप्त व्यवस्था है न साफ-सफाई ही नियमित रूप से होती है। पीछे की ओर चारों तरफ जंगली झाड़ी, कूड़ा व गंदा पानी फैला हुआ है। कालोनी मे अनुचर, लेखपाल, राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार के आवास बने हुए हैं। अस्सी के दशक में बने आवास पूरी तरह बदहाल हो गए हैं। कालोनी में निवास करने वाले लेखपाल बेचन लाल शास्त्री का कहना है कि दीवार व छत पूरी तरह जर्जर हैं। बरसात में छत से पानी टपकता रहता है। कालोनी में जल निकासी की भी कोई व्यवस्था न होने के कारण घरों के पीछे गंदा पानी जमा है। लेखपाल अखिलेश कुमार बताते हैं कि पूरी कालोनी के हैंडपंप खराब हैं। वायरिंग उखड़ चुकी है। आवास के अगल बगल झाड़ियां उगी हुई हैं जिनमें विषैले जीव जंतुओं का बसेरा है। सरकारी कर्मचारी होने के कारण अधिकारियों को सूचना दे पाना भी संभव नहीं हो पा रहा है। लेखपाल ब्रह्मालाल कहते हैं कि तहसील परिसर में दो दशक पूर्व बना वाटर टैंक सफेद हाथी साबित हो रहा है पाइप का लाइन न बिछने पानी की सप्लाई नहीं हो पा रहा है मजबूरन नीचे लगे हैंण्ड पंप ऊपर बाल्टी से पानी ले जाना पड़ता है। लेखपाल राजेश कुमार बताते हैं कि कालोनी में बना आवास की काफी दिनों से रंगाई-पुताई नहीं की गई है वहीं काफी पुराना प्लास्टर हो जाने से छूट छूट कर गिर रहा है बरसात के दिनों में छत टपकती है जिससे बड़ी परेशानी उठानी पड़ती है।
इस बाबत
तहसीलदार रोहित मौर्य का कहना है कि कॉलोनी में कर्मचारियों के आवास की स्थिति दयनीय है लेकिन इसके लिए अतिरिक्त बजट नहीं है। समय-समय पर अनुरक्षण के लिए प्राप्त होने वाली धनराशि से प्लास्टर व सफाई कराई जाती है।
असगर अली
उतरौला
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