इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि कोई महिला तलाक लिये बग़ैर दूसरे व्यक्ति के साथ रहने लगे तब भी उसे नाबालिग बच्चे की अभिरक्षा का अधिकार है। उसे उसके बच्चे की अभिरक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि तलाक लिए बिना महिला का किसी अन्य के साथ रहना कानून और समाज की नजर में गलत हो सकता है लेकिन इससे एक मां का उसके बच्चे के जीवन में जो विशेष स्थान है, उसे कम नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि मां को उसके बच्चे से अलग करना बच्चे के विकास में गलत असर डाल सकता है।
यह निर्णय न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने कानपुर के रामकुमार गुप्ता की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि उसकी पत्नी संयोगिता तलाक लिये बगैर दूसरे व्यक्ति के साथ रहने लगी है ऐसे में उसे उनके बेटे अनमोल की अभिरक्षा मांगने का कोई अधिकार नहीं है।
बच्चा पिता की बजाय मां के साथ रहने पर ज्यादा सुरक्षित रहेगा। हालांकि कोर्ट ने पिता को दो महीने में एक बार बच्चे से मिलने की छूट भी दी है। साथ ही बच्चे की मां संयोगिता को निर्देश दिया है कि वह हर दो माह में किसी एक रविवार को उसके पिता से मिलाने उसे कानपुर ले जाएगी।
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