उ. प्र. पंचायत चुनाव --इस साल यानी 2021 मे होने जा रहे गाँवों की संसद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव क़े आरक्षण का डाटा शासन को भेजा जा चुका  है। यदि ज्यादा बदलाव ना हुआ तो त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव नये आरक्षण प्रणाली से कराए जा सकते है।  आरक्षण की प्रक्रिया चक्रानुक्रम में ही होगा। 
 लेकिन पिछली बार अनुसूचित जाति या अन्य पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित पंचायतों के इस बार इन वर्गों के लिए आरक्षण नहीं होगा। 
 निकायों के गठन या सीमा विस्तार का प्रभाव आरक्षण निर्धारण पर भी पड़ सकता है।
त्रिस्तरीय पंचायतों के आंशिक परिसीमन की प्रक्रिया अंतिम दौर में चल रही है। इसके बाद प्रत्येक ब्लॉक में अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े और सामान्य वर्ग की आबादी अंकित करते हुए ग्राम पंचायतों की सूची वर्णमाला क्रम में बनाई जाएगी। 
इसमें यह भी अंकित किया जाएगा कि वर्ष 1995 में कौन सी ग्राम पंचायत किस वर्ग के लिए आरक्षित थी।
फॉर्मूले क़े अनुसार l एससी, एसटी और पिछड़े वर्ग के लिए प्रधानों के आरक्षित पदों की संख्या उस ब्लॉक में अलग-अलग पंचायतों में उस वर्ग की आबादी के अनुपात में गिरते हुए क्रम में आवंटित की जाएगी । और आरक्षण का निर्धारण चक्रानुक्रम में किया जाएगा, लेकिन  2015 में जो पंचायत एससी या एसटी के लिए आरक्षित थी, उन्हें इस बार एससी या एसटी के लिए आरक्षित नहीं किया जाएगा। 

यू कहें तो  अगर आपकी ग्राम पंचायत में वर्ष 2015 में प्रधान पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था तो इस बार पिछड़े वर्ग की महिला को मौका मिल सकता है। इसी तरह अगर ओबीसी के लिए पंचायत आरक्षित थी तो महिला को मौका मिल सकता है। आरक्षण निर्धारण का यह फॉर्मूला ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य के पद पर भी लागू होगा।

उमेश चन्द्र तिवारी 
हिन्दी संवाद न्यूज़ 
उत्तर प्रदेश 

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