मिठास और खास खुशबू से विदेशों तक धमक जमाने वाले 'इलाहाबादी सेबिया अमरूद के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं। मौसम की बेरुखी और जोरई नामक कीड़े लगने से इस बार सेबिया अमरूद का उत्पादन सिमटकर करीब 10 फीसद तक रह गया। इसकी वजह से यहां के बाजार में छत्तीसगढ़ और भोपाल के सफेदा अमरूदों को जगह बनाने का मौका मिल गया। सुर्खा के नाम से मशहूर सेबिया का उत्पादन बेहद कम होने से इसका रेट सेब से भी महंगा है। फुटपाथ की दुकानों पर भले सुर्खा 120 रुपये किलो बिक रहा है लेकिन, एजी ऑफिस के पास फलमंडी में 200 रुपये किलो मिल रहा है।

विदेशों में निर्यात नहीं, छत्तीसगढ़, भोपाल के अमरूदों में मिठास नहीं 

सदर तहसील क्षेत्र के बाकराबाद, बमरौली, असरउली, जनका, तेवारा के अलावा कौशांबी जिले के सल्लाहपुर और मनौरी में भी सेबिया अमरूद का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। बाकराबाद, बमरौली और उसके आसपास के गांवों में लगभग एक हजार बीघा क्षेत्रफल में इसके उत्पादन होने का दावा है। मगर, इस बार शुरुआत में बरसात कम होने और नवंबर महीने तक ठंड न पडऩे से उत्पादन करीब 90 फीसद तक गिर गया। बाकराबाद में अमरूद के प्रतिष्ठित किसान मुन्नू पटेल बताते हैं कि 10 फीसद जो उत्पादन हुआ, उसमें भी जोरई नामक कीड़े लग गए। इससे किसानों की कमर टूट गई। यहां से सुर्खा अमरूद हर साल देशभर के शहरों में जाता था। मुंबई से सऊदी अरब, नेपाल और ब्रिटेन भी निर्यात होता था। किसान सुभाष पटेल का कहना है कि जिस तरह फसल के उत्पादन पर इस बार असर पड़ा है। अगर यही हाल रहा तो 'इलाहाबादी पहचान खत्म हो जाएगी। 

सेब 80-100 रुपये, सेबिया 200 में

सेब का फुटकर रेट 80 से 100 रुपये किलो है। हालांकि, थोक में 50-60 रुपये किलो ही है। मुंडेरा फल सब्जी व्यापार मंडल के महामंत्री बच्चा यादव का कहना है कि छत्तीसगढ़ और भोपाल से आने वाले अमरूद का थोक रेट 20 से 25 रुपये किलो है। वहीं, फुटकर में सफेदा अमरूद भी 100 रुपये किलो है। एजी ऑफिस फल मंडी में फल बेचने वाले गोलू का कहना है कि सेबिया अमरूद 200 रुपये किलो है।

छत्तीसगढ़ से सफेदा अमरूद आ रहा है। ज्यादातर व्यापारी रामबाग, एजी ऑफिस की फल मंडियों में सीधे अमरूद मंगा रहे हैं। अब मुंडेरा मंडी में लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। 


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